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Meta Description: अशोका विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर उनकी विवादास्पद टिप्पणियों के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर देश की संप्रभुता को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। जानिए पूरी खबर।
Sonipat (Haryana) : हरियाणा के सोनीपत स्थित अशोका विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद रविवार को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए। उनकी गिरफ्तारी का कारण हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित उनकी कुछ सोशल मीडिया पोस्ट बताई जा रही हैं। पुलिस और उनके वकील दोनों ने इस खबर की पुष्टि की है। प्रोफेसर महमूदाबाद के खिलाफ देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोपों के तहत दो अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं।
गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब कुछ ही दिन पहले हरियाणा राज्य महिला आयोग ने प्रोफेसर महमूदाबाद को उनकी इन्हीं टिप्पणियों पर सवाल उठाते हुए एक नोटिस भेजा था। हालांकि, प्रोफेसर महमूदाबाद ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि उनकी टिप्पणियों को सही ढंग से नहीं समझा गया है और उन्होंने केवल अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का प्रयोग किया था।
राई के सहायक पुलिस आयुक्त अजीत सिंह ने फोन पर इस गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा, “अली खान महमूदाबाद को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ी कुछ टिप्पणियों के सिलसिले में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है।”
पुलिस उपायुक्त नरेन्द्र कादयान ने इस मामले पर विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि राई थाने में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें से एक प्राथमिकी हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर आधारित है, जबकि दूसरी शिकायत एक स्थानीय गांव के सरपंच द्वारा दर्ज कराई गई है।
कादयान ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, “आयोग की अध्यक्ष की शिकायत पर अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य), 353 (सार्वजनिक शरारत संबंधी बयान), 79 (किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से जानबूझकर की गई कार्रवाई) और 196 (1) (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।”
उन्होंने आगे बताया, “उन्हें (प्रोफेसर) आज गिरफ्तार कर लिया गया है… राई थाने में दो प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं।” पुलिस उपायुक्त ने यह भी जानकारी दी कि आयोग की शिकायत के आधार पर अली खान महमूदाबाद का पुलिस रिमांड मांगा जाएगा।
प्रोफेसर महमूदाबाद के वकील कपिल बाल्यान के अनुसार, एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ एक अन्य शिकायत शनिवार को एक स्थानीय सरपंच द्वारा दर्ज कराई गई थी। बाल्यान ने यह भी दावा किया कि सरपंच “प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा से भी जुड़ा हुआ है”।
वकील कपिल बाल्यान ने इस गिरफ्तारी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा, “शनिवार को मामला दर्ज किया गया और अगली सुबह प्रोफेसर को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें कोई पूर्व सूचना या नोटिस नहीं दिया गया और पुलिस ने सीधे उन्हें हिरासत में ले लिया।” उन्होंने बताया कि सरपंच की शिकायत पर बीएनएस की धारा 152, 196 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सौहार्द के प्रति हानिकारक कार्य करना), 197 (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप, दावे) और 299 (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का निरादर कर उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से) के तहत मामला दर्ज किया गया है। ये सभी धाराएं गैर-जमानती हैं, जिसका अर्थ है कि प्रोफेसर को आसानी से जमानत नहीं मिल सकेगी।
अशोका विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया
इस पूरे घटनाक्रम पर अशोका विश्वविद्यालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। विश्वविद्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “हमें जानकारी मिली है कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को आज सुबह पुलिस हिरासत में लिया गया है। हम मामले की विस्तृत जानकारी जुटा रहे हैं।” बयान में यह भी कहा गया कि विश्वविद्यालय इस जांच में पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग करेगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं और इस कार्रवाई की निंदा की है। माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक पोस्ट में कहा, “हम प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की नफरत के खिलाफ उनके सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तारी की निंदा करते हैं। जबकि नफरत फैलाने वाले विजय शाह (मध्यप्रदेश के मंत्री) जैसे लोग आजाद घूमते हैं, मोदी के भारत में न्याय और शांति की मांग करने वालों को निशाना बनाया जाता है।”
एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस गिरफ्तारी की आलोचना की है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “हरियाणा पुलिस ने कथित तौर पर कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए उन्हें (एसोसिएट प्रोफेसर को) दिल्ली से गिरफ्तार किया है। यह एक व्यक्ति को उसके विचारों के लिए निशाना बनाना है; उनका पोस्ट राष्ट्र-विरोधी या महिला विरोधी नहीं था। एक भाजपा कार्यकर्ता की शिकायत मात्र पर हरियाणा पुलिस ने कार्रवाई की।”
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस गिरफ्तारी पर नाराजगी व्यक्त की है और कहा है कि वह इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगी। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “प्रतिष्ठित विद्वान और शिक्षाविद प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी से भयभीत हूं – क्या इस असहिष्णु सरकार और हरियाणा पुलिस ने सोचने-समझने की शक्ति पूरी तरह खो दी है? हम जल्द से जल्द अदालत जा रहे हैं।”
महिला आयोग का नोटिस और प्रोफेसर की सफाई
हरियाणा राज्य महिला आयोग ने बीते 12 मई को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें उल्लेख किया गया था कि उसने सोनीपत में अशोका विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख महमूदाबाद द्वारा “7 मई को या उसके आसपास” दिए गए “सार्वजनिक बयानों/टिप्पणियों” का स्वत: संज्ञान लिया है।
आयोग के नोटिस के साथ महमूदाबाद की टिप्पणियां भी संलग्न की गई थीं। इनमें से एक टिप्पणी में उन्होंने कर्नल कुरैशी की सराहना करने वाले दक्षिणपंथी लोगों से भीड़ द्वारा हत्या और संपत्तियों को “मनमाने ढंग से” गिराए जाने के पीड़ितों के लिए सुरक्षा की मांग करने का आग्रह किया था।
आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने इस मामले पर कहा, “हम देश की बेटियों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सलाम करते हैं। लेकिन राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफेसर ने उनके लिए जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया है… मुझे उम्मीद थी कि वह कम से कम आज आयोग के सामने पेश होंगे और खेद व्यक्त करेंगे।”
एसोसिएट प्रोफेसर महमूदाबाद ने कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की मीडिया ब्रीफिंग को “दिखावटी” बताया था। उन्होंने यह भी कहा था, “लेकिन दिखावटीपन को जमीनी हकीकत में बदलना चाहिए, नहीं तो यह सिर्फ पाखंड है।”
महिला आयोग ने कहा कि महमूदाबाद की टिप्पणियों की प्रारंभिक समीक्षा से “कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर सिंह समेत महिला सैन्य अधिकारियों के अपमान और भारतीय सशस्त्र बलों में पेशेवर अधिकारियों के रूप में उनकी भूमिका को कमतर आंकने” के बारे में चिंताएं पैदा हुई हैं।
गौरतलब है कि भारतीय सशस्त्र बलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत छह मई की देर रात पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादियों के ठिकानों पर हमले किए थे।
एसोसिएट प्रोफेसर महमूदाबाद ने पहले ही स्पष्ट किया था कि आयोग ने उनकी टिप्पणी को “गलत तरीके से पढ़ा” है। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा था, “…मुझे आश्चर्य है कि महिला आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मेरे पोस्ट को इस हद तक गलत तरीके से पढ़ा और समझा कि उन्होंने उसका अर्थ ही बदल दिया।” उन्होंने यह भी कहा था कि उन्होंने शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने तथा भारतीय सशस्त्र बलों की दृढ़ कार्रवाई की सराहना करने के लिए विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग किया है।