डायरेक्ट बीट वैरिफिकेशन’ पद्धति से की जायेगी गिनती
अहमदाबाद (गुजरात): सौराष्ट्र की धरती एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी में है, क्योंकि 10 से 13 मई 2025 के बीच एशियाई शेरों की 16वीं जनगणना की जाएगी। गुजरात वन विभाग द्वारा यह गिनती डायरेक्ट बीट वैरिफिकेशन पद्धति से की जाएगी। गौरतलब है कि दुनिया में सिर्फ गुजरात के गिर क्षेत्र में ही एशियाई शेर (Asiatic Lions) पाए जाते हैं, और इसी वजह से इस जनगणना पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं।
हर पांच साल पर होती है शेरों की गिनती
गुजरात सरकार के वन विभाग द्वारा हर पांच वर्ष में एक बार शेरों की गिनती की जाती है। पिछली बार यह जनगणना वर्ष 2020 में हुई थी, जब 674 एशियाई शेरों की पुष्टि हुई थी। इस बार की गिनती 11 जिलों की 58 तहसीलों के कुल 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में दो चरणों में की जाएगी—10-11 मई को प्राथमिक गिनती और 12-13 मई को अंतिम आंकलन किया जाएगा।
1936 से शुरू हुई गणना की परंपरा
गुजरात में शेरों की गिनती की शुरुआत वर्ष 1936 में हुई थी। इसके बाद समय-समय पर हुए आंकड़ों में लगातार वृद्धि पाई गई है।
वर्षवार संख्या
वर्ष शेरों की संख्या
1995 304
2001 327
2005 359
2010 411
2015 523
2020 674
इस आंकड़े से स्पष्ट है कि संरक्षण के उपायों के चलते एशियाई शेरों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
गिर : एशियाई शेरों का एकमात्र आश्रय
एशियाई शेरों को सिंह, सावज, बब्बर शेर, केसरी, डालामत्थो जैसे विभिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता है। ये शेर सिर्फ गुजरात के गिर नेशनल पार्क और उसके आसपास के जंगलों में ही पाए जाते हैं। वर्ष 1980 से गिर क्षेत्र को एशियाई शेरों का “एकमात्र प्राकृतिक आवास” माना जाता है।
डायरेक्ट बीट वैरिफिकेशन पद्धति क्या है?
इस पद्धति में वनकर्मी और विशेषज्ञ अपनी बीट (क्षेत्र) में सीधे जाकर शेरों के पदचिन्ह, बीट कॉल, निशान, वीडियो रिकॉर्डिंग और ड्रोन सर्वे के माध्यम से शेरों की सटीक संख्या का अनुमान लगाते हैं। यह तरीका अधिक विज्ञानसम्मत और विश्वसनीय माना जाता है।