ब्रसेल्स। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बड़े पैमाने पर हमला किए जाने का शुक्रवार को आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल यह सुनिश्चित करेंगे कि लोकतांत्रिक संस्थाओं और लोगों की आजादी पर हमले बंद हों। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमलों के मद्देनजर यूरोपीय संघ (ईयू) से जुड़े लोग इसे लेकर चिंतित हैं।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत में यह दावा भी किया कि भारत में महात्मा गांधी के दृष्टिकोण और नाथूराम गोडसे के दृष्टिकोण के बीच लड़ाई है।
कांग्रेस नेता ने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि भारत में लोकतंत्र के लिए लड़ाई हमारी जिम्मेदारी है, हम इस जिम्मेदारी को निभाएंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारी संस्थाओं, (लोगों की) आजादी पर हमले बंद हों।
कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा :
कश्मीर से संबंधित प्रश्न पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। यहां भारत के अलावा किसी का लेना-देना नहीं है। हमने (अनुच्छेद 370 के विषय पर) कार्य समिति में प्रस्ताव पारित किया है. जब हम लोकतांत्रिक संस्थाओं की सुरक्षा की बात कर रहे हैं, तो इसमें कश्मीर समेत देश सभी हिस्सों की बात करते हैं। उन्होंने दावा किया कि भाजपा का मानना है कि सत्ता को केंद्रीकृत किया जाना चाहिए, धन को केंद्रित किया जाना चाहिए और भारत के लोगों के बीच बातचीत को दबा दिया जाना चाहिए।
‘इंडिया’ के नाम से मोदी सरकार में डर का माहौल :
राहुल गांधी ने कहा कि भारत में भेदभाव और हिंसा में वृद्धि हुई है और हमारे देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बड़े पैमाने पर हमला हो रहा है, यह हर कोई जानता है। इनमें से कुछ मुद्दों पर यूरोपीय सांसदों की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे बहुत चिंतित थे और उन्हें लगा कि निश्चित रूप से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया)’ के नाम ने सरकार में डर पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि इंडिया इस बात को दर्शाता है कि हम कौन हैं! इससे प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) इतने परेशान हो गए हैं कि वह देश का नाम बदलना चाहते हैं।
एक या दो लोग पूरे देश को वित्तीय रूप से नियंत्रित करना चाहते हैं, हमें इससे दिक्कत :
राहुल गांधी ने दावा किया कि यह दिलचस्प है कि हर बार जब हम अडाणी और मित्रवादी पूंजीपतियों का मुद्दा उठाते हैं, तो प्रधानमंत्री ध्यान भटकाने की एक नाटकीय नई रणनीति के साथ सामने आते हैं। उनके मुताबिक, हाल ही में जब उन्होंने अडाणी से संबंधित खुलासे पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया, तो इससे ध्यान भटकाने का प्रयास किया गया। कांग्रेस नेता ने कहा कि हमें निजी या सार्वजनिक क्षेत्रों से कोई समस्या नहीं है। हम उस स्थिति के बारे में बात कर रहे हैं, जहां एक या दो लोग पूरे देश को वित्तीय रूप से नियंत्रित करना शुरू करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में सरकारी नीतियों ने व्यवस्थित रूप से रोजगार प्रणाली की रीढ़ यानी लघु एवं मझोले उद्योग (एमएसएमई) के क्षेत्र पर हमला किया है।
अडाणी को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई को नष्ट कर रही केंद्र सरकार :
राहुल गांधी ने कहा कि अडाणी के साथ हमारी समस्या यह है कि वह बंदरगाहों, हवाई अड्डों, कृषि, रियल एस्टेट और सीमेंट व्यवसायों को नियंत्रित करते हैं। हर क्षेत्र में उनका दबदबा है। यह बात भारत के लिए प्रतिकूल है। एक तरफ, भाजपा एकाधिकारवादी मॉडल को आगे बढ़ा रही है और दूसरी तरफ वह एमएसएमई को नष्ट कर रही है, जो रोजगार पैदा करते हैं। इससे बेरोजगारी का संकट पैदा हो रहा है।