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100% राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर रोल मॉडल बनें: गोरखनाथ मंदिर में योगी आदित्यनाथ ने दी संस्थाओं को तकनीक अपनाकर आगे बढ़ने की दिशा

मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि परिषद की संस्थाएं सिर्फ शिक्षा नहीं बल्कि समाज के उत्थान के लिए भी कार्य करें। उन्होंने कहा कि समाज के गरीब और वंचित वर्गों को स्वावलंबी बनाने के लिए परिषद की संस्थाओं को और अधिक प्रयास करने चाहिए।

by Anurag Ranjan
योगी आदित्यनाथ
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गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की शैक्षणिक संस्थाओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को पूरी तरह से लागू करने की दिशा में प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि परिषद की सभी संस्थाओं का लक्ष्य होना चाहिए कि वे NEP के प्रावधानों को 100% लागू करके प्रदेश और देश में खुद को एक रोल मॉडल के रूप में स्थापित करें। योगी ने कहा कि परिषद की संस्थाओं ने समाज और राष्ट्र के हित में हमेशा उत्कृष्ट कार्य किया है, लेकिन अब समय है कि इस उत्कृष्टता को और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया जाए।

मुख्यमंत्री शनिवार को गोरखनाथ मंदिर के बैठक कक्ष में आयोजित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की वार्षिक समीक्षा बैठक और आगामी शैक्षणिक सत्र की कार्ययोजना पर चर्चा करने के लिए पहुंचे थे। इस बैठक में योगी ने सभी संस्थाओं से आग्रह किया कि वे न केवल शिक्षा, बल्कि स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में भी समाज के उत्थान के लिए आगे बढ़ें और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नवाचार को अपनाकर नए आयाम स्थापित करें।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के साथ बनें रोल मॉडल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक है कि परिषद की सभी संस्थाएं आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करें। उन्होंने सभी संस्थाओं को निर्देश दिए कि वे प्रयोगशालाओं और पुस्तकालयों को आधुनिक बनाएं और ई-लाइब्रेरी की दिशा में कदम बढ़ाएं। इसके साथ ही शिक्षकों को समय-समय पर नए प्रशिक्षण से जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि वे विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा दे सकें। उन्होंने कहा कि परिषद की संस्थाएं यदि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को सही ढंग से लागू करती हैं, तो वे पूरे प्रदेश और देश में एक आदर्श बन सकती हैं।

शताब्दी वर्ष को ऐतिहासिक बनाने की दिशा में काम करें

मुख्यमंत्री योगी ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शताब्दी वर्ष 2032 को ऐतिहासिक बनाने के लिए भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि परिषद की स्थापना 1932 में शैक्षणिक पुनर्जागरण और राष्ट्रीय मूल्यों के संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी। अब समय आ गया है कि परिषद इन मूल्यों को और आगे बढ़ाए और शताब्दी वर्ष में परिषद को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करे। योगी ने सभी संस्थाओं के प्रमुखों से कहा कि वे इस दिशा में अभी से तैयारी शुरू करें और इस ऐतिहासिक अवसर को एक नई दिशा देने के लिए कार्ययोजना तैयार करें।

सामाजिक सरोकार में अग्रणी भूमिका निभाएं

मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि परिषद की संस्थाएं सिर्फ शिक्षा नहीं बल्कि समाज के उत्थान के लिए भी कार्य करें। उन्होंने कहा कि समाज के गरीब और वंचित वर्गों को स्वावलंबी बनाने के लिए परिषद की संस्थाओं को और अधिक प्रयास करने चाहिए। योगी ने परिषद की संस्थाओं द्वारा चिकित्सा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और स्वरोजगार के क्षेत्र में किए गए कार्यों की सराहना की और कहा कि यह कार्य समाज में बदलाव लाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इन प्रयासों को और तेज करने की आवश्यकता जताई।

संस्थाओं के प्रमुखों को दिए दिशा-निर्देश

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं के प्रमुखों से उनकी साल भर की उपलब्धियों के बारे में जानकारी ली और आगामी सत्र के लिए उन्हें कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संस्थाओं को अनुशासित परिसर संस्कृति, स्वच्छता, हरियाली और सद्भाव को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने शोध और नवाचार पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही। योगी ने सभी प्रमुखों से यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा की कि उनके संस्थान में शिक्षा के स्तर को निरंतर बढ़ाया जाए और सभी पहलुओं पर गुणवत्ता को प्राथमिकता दी जाए।

बैठक में प्रमुख लोग रहे उपस्थित

बैठक में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. यूपी सिंह, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ओम प्रकाश सिंह, एमपी पॉलिटेक्निक के अनिल प्रकाश सिंह, और महाराणा प्रताप बालिका इंटर कॉलेज की शीतल डी.के. सहित परिषद की सभी संस्थाओं के प्रमुख उपस्थित रहे।

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