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पहली बार छठ पूजा करने जा रही हैं एक्ट्रेस अक्षरा सिंह, कहा – घर पर हुआ था बवाल…

Bhojpuri Actress Akshara Singh पहली बार छठ पूजा करने जा रही हैं। अक्षरा अपने परिवार संग पटना में इस महापर्व को सेलिब्रेट करेंगी।

by Neha Verma
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भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह इस साल छठ पूजा करने जा रही हैं। अक्षरा के इस निर्णय ने उनके फैंस को हैरान कर दिया है। आस्था का महापर्व कहे जाने वाले इस त्योहार को लेकर अक्षरा खासी एक्साइटेड हैं। द फोटोन न्यूज से वो छठ पूजा और उसकी तैयारी पर हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत करती हैं।

छठ को लेकर इमोशनल हूं


महापर्व छठ का जिक्र करते ही अक्षरा कहती हैं,’बिहारी होने के तौर पर छठ पूजा मेरे लिए किसी इमोशन से कम नहीं है। हम सभी बचपन से ही इसे देखते-सुनते बड़े हुए हैं। आज भी छठ पूजा से जुड़े गीत कानों में मिश्री की तरह घुलते हैं। हमारे माता-पिता ने भी इसके महत्व को सिखाते हुए हमारी परवरिश की है।

मेरे लिए यह महापर्व इसलिए भी प्रिय है क्योंकि मेरी दादी किया करती थीं। इस त्योहार की खासियत यही है कि आपके घर पर अगर किसी कारणवश नहीं हुआ,तो आस पड़ोस के घर भी आप बिलकुल वही भाव और सिद्दत से पूजा करते हैं,मानों खुद के घर पर ही सेलिब्रेट कर रहे हों।’

छठ करने की बात सुनकर घर पर बवाल हुआ


पूजा को लेकर जुड़ी धारणाओं पर अक्षरा कहती हैं,’ये हमारे यहां का मिथ है कि छठ पूजा केवल वो ही महिलाएं करती हैं,जिन्हें बच्चे चाहिए या फिर जिनके बच्चे हैं और यही परंपरा चलता ही चला जा रहा है।

हालांकि कुछ सालों में मैंने देखा कि लड़के भी कर रहे हैं। खासकर यंग लड़के,जिनकी शादी नहीं हुई है,वो लोग भी छठ उठा रहे हैं। तो मैंने सोचा कि अगर लड़के कर रहे हैं,तो फिर हम सिंगल लड़कियां क्यों नहीं छठ उठा सकती हैं।

मैंने मां से पूछा कि छठ कब करोगी?मां ने कहा कि वो किसी मन्नत के पूरा होने का इंतजार कर रही हैं। उसके बाद ही वो छठ उठाएंगी। मैंने कहा कि मैं तो तरसती हूं कि मेरे घर पर भी छठ हो। दादी को उम्र हो चुकी है,तो उन्होंने भी बंद कर दिया है। यकीन मानों,इस साल की शुरूआत से ही मुझे या तो सपना आए या फिर जेहन में यह बात चले कि अक्षरा तुम्हें छठ करना चाहिए।

कई बार तो लोगों से बात करने के दौरान ही मेरे मुंह से अपने निकल गया है कि मैं तो इस साल छठ कर रही हूं। मैं काफी समय से इसी सोच में हूं कि ऐसा मेरे साथ क्यों हो रहा है?जरूर इसके पीछे कोई कारण होगा? फिर मैंने मां से कहा कि मुझे अंदर से महसूस हो रहा है कि खुद छठ मां कह रही हैं कि अक्षरा तुमको ही छठ करना है।

घर पर थोड़ा बवाल भी हुआ। मां परेशान हो गई कि तुम कैसे छठ करोगी?तुम समझ रही हो कि यह कितना बड़ा निर्णय है?पापा तो मान गए,लेकिन मां मेरी डरी हुई है कि इतना बड़ा फैसला लेने जा रही है। ऐसा भी नहीं है कि एक बार किया और छोड़ देना है। यह सिलसिला तो बरकरार रहने वाला है। कैसे रहोगी तीन दिन बिना पानी के? बहुत बहस हुआ.. फिर कहीं जाकर मां राजी हुई। वहां से हिम्मत मिली।’

यह संयोग नहीं, तो और क्या है


अक्षरा आगे कहती हैं,’जैसे ही यह मन बना लिया और मैं खुद को मानसिक तौर पर तैयार करने लगी। इसी बीच मुझे गाने का एक ऑफर आया,जिसमें एक कॉन्सेप्ट लेकर डायरेक्टर मेरे पास आता है।

स्क्रिप्ट में ऐसा लिखा हुआ था कि घर वाले कहते हैं कि जितनी शूटिंग है वो कैंसिल कर दो क्योंकि अक्षरा इस बार छठ कर रही है। यह संयोग नहीं तो और क्या है? मैंने जब स्क्रिप्ट पढ़ी,तो रौंगटे खड़े हो गए। डायरेक्टर को तो पता भी नहीं था कि मैं छठ करने जा रही हूं। यह छठी मईयां का ही मेसेज है।’

परिवार वालों से ले रही हूं मदद


क्या पहली बार पूजा करने को लेकर नर्वस हैं? जवाब में अक्षरा कहती हैं,’इतना स्ट्रॉन्ग डिसीजन लिया है,डरती तो किसी बात से नहीं हूं। शायद ऊपरवाले की कृपा मुझपर है कि मैं हमेशा अपनी चीजों को लेकर कॉन्फिडेंट रहती हूं।

मुझे पता है ये तीन दिन भी छठी मईयां पार लगा देंगी। मैं दीवाली के बाद से ही इसकी तैयारी में जुट चुकी हूं। चूंकि मेरा पहला छठ है, तो काफी कुछ सीखना भी है। सारे रिलेटिव्स और पड़ोसियों से मदद ले रही हूं और इसकी पूरी तैयारी कर रही हूं।’

इस पर्व का जादू देखा है


छठ पूजा को लेकर बढ़ती आस्था पर अक्षरा कहती हैं,’मैंने इस पर्व का जादू देखा है। कितने लोग,जिन्हें बच्चे नहीं थे,उन्होंने पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की और अगले साल बच्चा उनके घर पर था।

कई तो फाइनैंसियल सक्षम नहीं होते,लेकिन पूरे विश्वास के साथ पूजा करते थे कि मां पार लगा देंगी और वाकई बिना किसी रूकावट के उनकी पूजा सफल होती थी। ये सब साक्षात देखी हुई चीजे हैं। मेरा विश्वास हमेशा बढ़ता ही रहा है।

इस साल मेरे कई मन्नत हैं,जिसे जाहिर नहीं किया जा सकता। हां,मैंने बिहार के यूथ खासकर लड़कियों के प्रोग्रेस को लेकर मन्नत जरूर मांगा है। साथ ही यह मेसेज भी देने की कोशिश है कि जो अपने बिहार को छोड़ मेट्रो में बस चुके हैं और कहीं न कहीं जड़ों से भी छूटते जा रहे हैं,तो उन्हें दोबारा इससे जोड़ने का प्रयास है।’

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