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BHU Students Achivment : बीएचयू की छात्रा खुशी यादव की अनूठी कला ने रचा इतिहास, Indian Book of Records में दर्ज हुआ नाम

by Anand Mishra
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वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वाराणसी के प्रतिष्ठित संकट मोचन मंदिर परिसर में आयोजित 102वें श्री संकट मोचन संगीत समारोह के अवसर पर देश-विदेश से आए संगीत और कला साधकों की प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं और कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी आयोजन के दौरान काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के दृश्य कला संकाय की छात्रा खुशी यादव ने अपनी अद्वितीय कलाकृति से सभी का ध्यान आकर्षित किया।

चॉक पर सुई की नक्काशी से रचा हनुमान चालीसा

खुशी यादव ने अपनी कला से एक ऐसा कार्य कर दिखाया, जिसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। उन्होंने डॉम्स डस्टलेस सफेद चॉक की 150 स्टिक (प्रत्येक 78 मिमी) पर सुई की बारीक नक्काशी से पूरी हनुमान चालीसा को उकेरा। यह कार्य सिर्फ कलात्मकता का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इसमें श्रद्धा, धैर्य और समर्पण भी झलकता है।

छह महीने की तपस्या से बनी कलाकृति

इस विशेष कृति को बनाने में लगभग छह महीने का समय लगा। इसमें 4 x 2.5 फीट की लकड़ी, थर्माकोल, फेविकोल, इमल्शन पेंट्स, अखबार, टिशू पेपर, नारंगी सूती कपड़ा, और ऐक्रेलिक रंगों का इस्तेमाल कर इस चॉक आर्ट को भव्य रूप दिया गया।

इनके निर्देशन में तैयार हुई कलाकृति

इस अनूठे प्रोजेक्ट की निगरानी गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर डॉ. नेहा सिंह ने की, जबकि हैदराबाद की डॉ. पावनी और डॉ. स्वर्णा श्री ने इसे प्रमाणित किया। इसके बाद इस अद्वितीय प्रयास को ‘इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ द्वारा औपचारिक मान्यता दी गई।

महंत ने किया सम्मानित, कहा-कला भक्ति की पराकाष्ठा है

संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने मंदिर परिसर में इस कलाकृति का अवलोकन करते हुए खुशी यादव की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने इसे भक्ति, लगन और कला का अद्वितीय संगम बताते हुए ‘शिल्पकला का एक अनुपम उदाहरण’ कहा। मौके पर महंत मिश्र ने खुशी को ‘इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ की ओर से प्रमाणपत्र और मेडल भेंट कर सम्मानित भी किया।

श्रद्धा, कला और लगन का अद्भुत मेल

विश्वविद्यालय की ओर से बताया गाय है कि खुशी यादव की यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह उन तमाम युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी कला के माध्यम से कुछ नया और ऐतिहासिक करने की चाह रखते हैं। उनका यह कार्य यह सिद्ध करता है कि जब समर्पण, साधना और श्रद्धा एक साथ मिलते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है।

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