पटना : समाज को ज्ञान देने वाले गुरुजी को आवासीय प्रशिक्षण के दौरान ऐसा खराब खाना मिले कि उनकी तबीयत ही बिगड़ जाए, तो वे बच्चों को कैसे औऱ कैसा ज्ञान देंगे, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। स्पष्ट है कि शिक्षकों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए आवंटित धन में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार हुआ है। यह हैरान करने वाला मामला बिहार के बाढ़ जिले में चल रहे पीटीईसी (शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज) के प्रशिक्षण कार्यक्रम से सामने आया है।
रात के खाने के बाद बिगड़ी दर्जनों शिक्षकों की तबीयत
पीटीईसी बाढ़ में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब खराब खाने की वजह से अचानक दर्जनों शिक्षकों की तबीयत अत्यंत खराब हो गई। बताया जा रहा है कि रात का खाना खाने के बाद कई शिक्षकों को पेट में तेज दर्द, उल्टी और दस्त की शिकायत होने लगी। कुछ शिक्षकों को अत्यधिक कमजोरी महसूस होने के कारण चक्कर भी आने लगे, जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में इलाज के लिए बाढ़ अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया।
तीन शिक्षक अस्पताल में, एक आईसीयू में भर्ती
अनुमंडल अस्पताल में अभी भी तीन शिक्षकों का इलाज चल रहा है, जबकि एक अन्य शिक्षक को गंभीर हालत के चलते एक निजी नर्सिंग होम के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। अन्य शिक्षक भी निजी अस्पतालों में प्राथमिक उपचार कराने के बाद ट्रेनिंग स्कूल लौट गए हैं, लेकिन वे भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं।
मीडिया की एंट्री पर रोक, शिक्षकों को बाहर निकलने की मनाही
मामले की जानकारी बाहर न जा सके, इसके लिए ट्रेनिंग कॉलेज के प्रभारी ने मुख्य गेट पर अंदर से ताला लगा दिया और मीडियाकर्मियों को अंदर आने से रोक दिया। जब शिक्षकों से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने बताया कि उन्हें शाम 4 बजे से पहले बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई है, जिससे सच्चाई को दबाने की आशंका और बढ़ गई है।
सर्टिफिकेट रुकने के डर से शिकायत करने में हिचकिचाहट
पीटीईसी बाढ़ में शिक्षकों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण चल रहा है। शिक्षकों में इस बात का डर व्याप्त है कि यदि वे खाने की गुणवत्ता को लेकर शिकायत करते हैं, तो कहीं उनका प्रशिक्षण प्रमाण पत्र रोक न दिया जाए। गौरतलब है कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान खराब खाना परोसे जाने की शिकायतें अक्सर सामने आती रहती हैं। इस भीषण गर्मी में कुछ ही घंटों में खाना खराब होने की संभावना बनी रहती है और आशंका जताई जा रही है कि बासी या खराब भोजन के कारण ही शिक्षकों को फूड पॉइजनिंग की शिकायत हुई है। यह घटना शिक्षा विभाग के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है।