फिल्म डेस्क, नई दिल्ली : इसे महज संयोग कहें या छठी मईयां की कोई मर्जी कि जिस आवाज को छठ पूजा की वजह से पहचान मिली.. जिनके गीत के बिना इस महापर्व का जश्न अधूरा सा लगता है …आज वह आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई है। बिहार की स्वर कोकिला और पद्म पुरस्कार से सम्मानित शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं। दिल्ली स्थित AIMS में एक लंबे समय से जिंदगी और मौत के बीच की जंग लड़ रहीं शारदा सिन्हा ने मंगलवार को आखिरी सांस ली।
छठी मैया ने मां को बुला लिया
शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने उनकी डेथ को कंफर्म करते हुए फेसबुक पर लिखते हैं, ’आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे। मां को छठी मईया ने अपने पास बुला लिया है। मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं ।’ अंशुमान आगे बताते हैं, ’आखिरी वक्त में उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट करवाया गया था। लगातार डॉक्टर के प्रयास और हमारी दुआएं भी काम नहीं आ सकीं और मां चली गईं। पापा के जाने के बाद से ही मां भी बीमार हो गई थी। आखिरकार मेरे सिर से दोनों का साया चला गया…।’
आखिरी गाना भी छठी मैया के नाम…
लोकगायिका शारदा सिन्हा के गीतों के कायल पूरी दुनिया में हैं। लोकगीतों के साथ-साथ उनकी खास पहचान छठ के गीतों से होती रही है। करियर की शुरुआत में छठ के मधुर गानें गाकर उन्होंने प्रसिद्धी पाई थी। दावे के साथ कहा जा सकता है कि जिस घर में छठ पूजा हो और वहां उनके गीत न चले, यह मुमकिन ही नहीं। छठ के गानों से अपने करियर की शुरूआत करने वालीं शारदा जी ने आखिरी गाना भी छठी मईयां को ही समर्पित किया था। आईसीयू में भर्ती होने के दौरान उनके बेटे ने यह गाना फैंस के लिए रिलीज कर दिया। यू-ट्यूब पर आते ही गाने ने मिलियन्स क्रॉस कर लिया था। यह भी किसी संयोग से कम नहीं है कि उन्होंने छठ पूजा के दिन ही अपने प्राण त्याग किये।
कुछ दिनों पहले ही पति का हुआ था निधन
कुछ दिनों पहले ही शारदा सिन्हा के पति ब्रजकिशोर सिन्हा का निधन हो गया था। परिवार का कहना है कि पति के निधन के बाद से ही वह और गंभीर रूप से बीमार हो गई थीं। इसके बाद से लगातार उनका इलाज चल रहा था। आखिरकार पति की मौत कुछ दिन बाद ही उन्होंने दम तोड़ दिया। लोक गायिका के निधन से बिहार झारखंड सहित पूरे उत्तर भारत में शोक की लहर दौड़ गई है। देश दुनिया से लोग अपने-अपने तरीके से शारदा सिन्हा और उनके गीतों को याद कर रहे हैं।