

रांची : झारखंड सरकार की कर्मचारियों के लिए लागू की गई स्वास्थ्य बीमा योजना पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने हमला बोला है। उन्होंने इस योजना को कई खामियों से भरा हुआ बताया। साथ ही कहा कि इससे राज्य के सरकारी कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है। अजय साह ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि योजना को लागू करने से पहले ही पुरानी मेडिकल रीइंबर्समेंट योजना को खत्म कर दिया गया। जिससे कर्मचारियों को वैकल्पिक व्यवस्था के बिना ही छोड़ दिया गया है, जो सरकार की लापरवाही को दर्शाता है।

20 दिन में 2000 का बना हेल्थ कार्ड
अजय साह ने बताया कि योजना के तहत कर्मचारियों को हेल्थ कार्ड बनवाना अनिवार्य है। लेकिन योजना लागू होने के 20 दिन बाद भी केवल 2,000 कर्मचारियों के हेल्थ कार्ड ही बनाए गए हैं, जबकि राज्य में 1.6 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी इस सुविधा से अभी भी वंचित हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने कर्मचारियों की पहले से उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं को खत्म कर दिया, जिससे उन्हें मेडिकल सेवाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

प्रमुख अस्पतालों का नाम नहीं
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में प्रमुख अस्पताल जैसे मेडिका और मेदांता के नाम का न होना भी एक बड़ी खामी के रूप में उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। जब सरकार ने यह दावा किया था कि दुनिया के किसी भी अस्पताल में इलाज संभव होगा, तो राज्य के प्रमुख अस्पताल इस सूची में क्यों नहीं हैं? उन्होंने योजना के वित्तीय पहलू पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों से 500 का प्रीमियम लिया जा रहा है, जबकि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना में यह प्रीमियम सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इससे कर्मचारियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इस योजना की खामियों को तुरंत दूर करे और कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करे।

