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त्योहारी सीजन में 4.25 लाख करोड़ का कारोबार: धनतेरस पर 60,000 करोड़ रुपये की बिक्री का ऐतिहासिक आंकड़ा

धनतेरस पर 60,000 करोड़ रुपये की बिक्री का आंकड़ा यह दर्शाता है कि उपभोक्ताओं की खरीदारी की प्रवृत्ति पिछले वर्षों की तुलना में अधिक मजबूत है।

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: त्योहारी सीजन भारत के आर्थिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें विभिन्न उद्योगों में बिक्री और कारोबार का स्तर ऊंचा उठता है। विशेषकर धनतेरस, जो दीपावली के पर्व का पहला दिन है, इस दौरान स्वर्ण, चांदी, और अन्य आभूषणों की खरीदारी में भारी वृद्धि होती है। इस साल धनतेरस पर 60,000 करोड़ रुपये की बिक्री का आंकड़ा सामने आया है, जो कि एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।

धनतेरस का महत्व


धनतेरस को धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा के लिए जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से सोने, चांदी और अन्य धातुओं की खरीदारी की जाती है, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। भारतीय समाज में धातुओं की खरीद केवल एक निवेश का माध्यम नहीं है, बल्कि यह पारंपरिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। परिवारों में यह परंपरा है कि वे इस दिन बर्तन, सोना या चांदी के आभूषण खरीदते हैं, जिससे उनके घर में समृद्धि का आगमन होता है।

आर्थिक प्रभाव


धनतेरस पर 60,000 करोड़ रुपये की बिक्री का आंकड़ा यह दर्शाता है कि उपभोक्ताओं की खरीदारी की प्रवृत्ति पिछले वर्षों की तुलना में अधिक मजबूत है। यह वृद्धि न केवल आभूषण उद्योग के लिए, बल्कि समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। इस त्योहारी सीजन में अनुमानित 4.25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा, जो कि विभिन्न क्षेत्रों जैसे- खुदरा, आभूषण, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स में फैला हुआ है।

खुदरा बाजार की वृद्धि


इस साल खुदरा बाजार में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने विशेष धनतेरस ऑफर्स और छूटों के माध्यम से उपभोक्ताओं को आकर्षित किया है। ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते चलन ने यह सुनिश्चित किया है कि दूर-दराज के क्षेत्रों में भी लोग इस अवसर पर अपने मनपसंद सामान की खरीद कर सकें। इसके अलावा, छोटे खुदरा विक्रेता भी अपनी दुकानों में विशेष रूप से सजावट और स्टॉक की भरपूर तैयारी कर रहे हैं, जिससे वे अधिकतम बिक्री कर सकें।

उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव


इस साल के आंकड़ों में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह भी देखा गया है कि उपभोक्ता अब गुणवत्ता और डिज़ाइन को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। लोग प्राचीन और पारंपरिक डिज़ाइन के साथ-साथ आधुनिक और स्टाइलिश आभूषणों की खरीदारी कर रहे हैं। इसके अलावा, स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की मांग भी बढ़ी है। यह ट्रेंड उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता और जिम्मेदार खरीदारी के प्रति बढ़ते रुझान को दर्शाता है।

धनतेरस पर 60,000 करोड़ रुपये की बिक्री का आंकड़ा भारतीय उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिरता और बाजार में विश्वास को दर्शाता है। इस त्योहारी सीजन में 4.25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार न केवल आर्थिकी के लिए, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण घटना है। यह दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है और उपभोक्ता अपनी खरीदारी के माध्यम से अपनी समृद्धि और खुशी का जश्न मना रहे हैं। भविष्य में, ऐसे त्यौहारों से जुड़े व्यवसायों और उद्योगों को और अधिक अवसर मिलने की संभावना है, जिससे वे अपनी सेवाओं और उत्पादों को बेहतर बना सकें।

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