Chaibasa (Jharkhand) : पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय स्थित चाईबासा सदर अस्पताल एक बार फिर अपनी लापरवाही और अव्यवस्था के कारण सुर्खियों में है। कुछ दिन पूर्व ब्लड बैंक की गंभीर त्रुटि के कारण थैलेसीमिया से पीड़ित पाँच से छह बच्चों के एचआईवी संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी।
जिले में 515 एचआईवी संक्रमित मरीज
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में वर्तमान में लगभग 515 एचआईवी संक्रमित मरीज पंजीकृत हैं। ऐसे में इस नये मामले ने पूरे जिले की चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है।
अस्पताल में न तो पर्याप्त चिकित्सकीय देखरेख : भाजपा
भाजपा मीडिया प्रभारी जितेंद्र नाथ ओझा ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा। उन्होंने कहा है कि स्थिति तब और भयावह हो गई जब आज अस्पताल की तीसरी मंज़िल से एक मरीज द्वारा आत्महत्या किए जाने की सूचना मिली। यह घटना यह स्पष्ट करती है कि अस्पताल में न तो पर्याप्त चिकित्सकीय देखरेख है और न ही मरीजों की मानसिक सुरक्षा का कोई प्रबंध। लगातार घट रही इन घटनाओं से यह साफ है कि चाईबासा सदर अस्पताल की कार्यप्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।
पश्चिमी सिंहभूम जैसे जिले में, जहां कुपोषण की दर राज्य में सर्वाधिक है, वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं का इस स्तर पर चरमराना अत्यंत चिंताजनक है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया जैसी बीमारियां फैल चुकी हैं और एंबुलेंस की सुविधा तक नहीं है। सरकार केवल लीपा-पोती में व्यस्त है जबकि गरीब जनता बुनियादी चिकित्सा सुविधा के लिए तरस रही है।
उच्चस्तरीय जांच की मांग
भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि एचआईवी संक्रमण और आत्महत्या दोनों घटनाओं की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। सदर अस्पताल की समग्र चिकित्सा व्यवस्था की समीक्षा कर जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। यह मामला केवल एक अस्पताल की लापरवाही नहीं बल्कि गरीब जनता के जीवन से खिलवाड़ का प्रतीक है।


