Chakradharpur (Jharkhand) : चक्रधरपुर रेल मंडल प्रशासन की ओर से शुक्रवार की सुबह रेल हादसे की स्थिति में अपनी तत्परता और दक्षता का आंकलन करने के लिए मेगा मॉक ड्रिल किया। रेलवे स्टेशन के सेकेंड एंट्री में एक यथार्थवादी ‘एक्सीडेंट साइट’ तैयार की गई थी, जहाँ कोच एक-दूसरे पर चढ़ाए गए थे और अंदर ‘घायल यात्री’ फंसे हुए थे। सुबह 10:30 बजे हूटर बजते ही स्टेशन परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया, और रेलवे के विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी तुरंत मौके पर पहुंच गए। इस अभ्यास में NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) की टीम, RPF, जिला पुलिस और जिला प्रशासन ने भी हिस्सा लिया।
NDRF ने कटर मशीन से कोच काटकर यात्रियों को निकाला
बचाव कार्य को अत्यंत तेजी के साथ आगे बढ़ाया गया। रिलीफ ट्रेन को 10:45 बजे रवाना किया गया और वह मात्र 5 मिनट में 10:50 बजे घटना स्थल पर पहुंचकर बचाव अभियान में जुट गई। NDRF की विशेषज्ञ टीम ने कटर मशीन का उपयोग कर कोचों को काटकर अंदर फंसे हुए यात्रियों को बाहर निकाला। इस अभ्यास के दौरान कुल 11 “घायल यात्रियों” को सुरक्षित बाहर निकालकर मेडिकल कैम्प में प्राथमिक उपचार दिया गया। इसके अलावा, आठ यात्रियों के “शव” भी बाहर निकाले गये।

DRM ने टीम की दक्षता को सराहा
मॉक ड्रिल के सफल समापन के बाद डीआरएम तरुण हुरिया ने सभी प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि रेलवे का सर्वोच्च लक्ष्य है कि कोई रेल हादसा हो ही नहीं। लेकिन अगर दुर्भाग्यवश ऐसी स्थिति आती है, तो रेलवे को इस तरह तैयार रहना चाहिए कि अधिकतम लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके।
उन्होंने सभी विभागों, NDRF, पुलिस और जिला प्रशासन को उनके सराहनीय सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। DRM ने जोर देकर कहा कि इस तरह के अभ्यासों से रेल कर्मियों को वास्तविक आपात स्थिति में तेजी और दक्षता से काम करने की बहुमूल्य सीख मिलती है, जिससे रेल हादसे की स्थिति में क्षति को कम किया जा सके।