धनबाद: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आज हुई अहम बैठक में विधायक दल के नेता का चयन नहीं हो सका। यह बैठक पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित की गई थी, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अध्यक्षता की। बैठक में नव निर्वाचित विधायकों ने भाग लिया, लेकिन विधायक चंपाई सोरेन की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही।
विधायक दल की बैठक में प्रमुख नेता हुए शामिल
बीजेपी की इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रविंद्र कुमार राय और प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह मौजूद रहे। साथ ही वरिष्ठ विधायक सीपी सिंह, नवीन जायसवाल, राज सिन्हा, नीरा यादव, अमित कुमार यादव, मनोज यादव, रौशनलाल चौधरी और अन्य विधायकों ने भी भाग लिया।
बैठक में नव निर्वाचित विधायकों का स्वागत प्रदेश अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष और संगठन महामंत्री ने किया। इन नेताओं ने पार्टी का पटका पहनाकर विधायकों का अभिनंदन किया।
चंपाई सोरेन की अनुपस्थिति पर सवाल
चंपाई सोरेन की बैठक में गैरहाजिरी ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों को जन्म दिया है। हालांकि, उनकी अनुपस्थिति के पीछे के कारणों का अब तक खुलासा नहीं हुआ है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब विधानसभा सत्र कल से शुरू होने वाला है।
बाबूलाल मरांडी का बयान
मीडिया से बातचीत में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बीजेपी विधायक जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने और जनमुद्दों पर संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी विधायक सदन में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।
मरांडी ने यह भी कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में पार्टी राज्य के विकास, बेरोजगारी, महिला सम्मान, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों को मजबूती से उठाएगी। उन्होंने विधायकों से पार्टी के संगठन पर्व में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।
विधानसभा सत्र में विधायक दल का नेता नहीं
बीजेपी विधायक दल का नेता चुने बिना ही विधानसभा सत्र में भाग लेगी। यह सत्र मुख्य रूप से संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा करने पर केंद्रित होगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधायक दल के नेता का चयन जल्द किया जाएगा।
प्रमुख मुद्दे और रणनीति
बैठक के दौरान नेताओं ने राज्य सरकार को विकास के मुद्दों पर घेरने की रणनीति पर भी चर्चा की। बीजेपी का जोर महिला सुरक्षा, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर रहेगा।
बीजेपी की इस बैठक ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि पार्टी जनता के मुद्दों पर मजबूती से खड़ी है, लेकिन विधायक दल के नेता का न चुना जाना आने वाले समय में पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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