Home » Chhath Puja 2025 : आज डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि | Chhath Puja Shubh Muhurat

Chhath Puja 2025 : आज डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि | Chhath Puja Shubh Muhurat

by Rakesh Pandey
Chhath Puja 2025
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

रांची : लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा 2025 का तीसरा दिन आज श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में मनाया जा रहा है। रविवार को खरना संपन्न होने के बाद आज सोमवार को व्रतियों द्वारा डूबते सूर्य (अस्ताचलगामी भगवान भास्कर) को पहला अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। इसके साथ ही चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का तीसरा चरण शुरू हो जाएगा।

छठ पूजा 2025 अर्घ्य का समय (Chhath Puja 2025 Arghya Time)

पहला अर्घ्य (सांध्यकालीन अर्घ्य)

दिन : 27 अक्टूबर, सोमवार

समय : शाम 5:10 से 5:58 बजे तक
अवसर : डूबते सूर्य को अर्घ्य

दूसरा अर्घ्य (प्रातःकालीन अर्घ्य)

दिन : 28 अक्टूबर, मंगलवार
समय : सुबह 5:33 से 6:30 बजे तक
अवसर : उदीयमान सूर्य को अर्घ्य

पहले अर्घ्य के बाद अगले दिन ऊषा अर्घ्य के साथ यह चार-दिवसीय अनुष्ठान विधिवत पूर्ण होता है।

छठ पूजा की धार्मिक मान्यता और महत्व

सनातन परंपरा में भगवान सूर्य देव को पंचदेवों में से एक और सौभाग्य-आरोग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य को नवग्रहों का राजा तथा आत्मा का कारक माना गया है। ऐसा विश्वास है कि जिनकी कुंडली में सूर्य बलवान होता है, वे व्यक्ति जीवन में ऊंचा पद, सम्मान, सफलता और सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं।

छठ पूजा का अर्थ है कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि, जिस दिन सूर्य देव और छठी मइया की आराधना की जाती है। इस दिन व्रती जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और परिवार की आरोग्यता, समृद्धि तथा संतान-कल्याण की कामना करते हैं।

छठ पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi)

संध्या अर्घ्य की तैयारी : व्रती सूर्यास्त से पहले घाट पर पहुंचकर साफ-सुथरे जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

पूजन सामग्री : ठेकुआ, गुड़-से बनी खीर, नारियल, केला, गन्ना, दीपक और फल-फूल आदि पूजा में उपयोग होते हैं।

सूर्य आराधना : सूर्य देव के सामने दीप प्रज्ज्वलित कर स्तुति और छठ मइया की आरती की जाती है।

ऊषा अर्घ्य : अगले दिन प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है।

कौन हैं छठी मइया (Chhathi Maiya Significance)

छठी मइया का संबंध षष्ठी तिथि से है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वे ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन मानी जाती हैं। लोककथाओं में उन्हें उर्वरता और समृद्धि की देवी कहा गया है, जो संतान की रक्षा करती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि लाती हैं। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में यह पर्व विशेष भक्ति और आस्था से मनाया जाता है। ऐसा विश्वास है कि छठी मइया अपनी कृपा से जीवन में उज्ज्वलता, संतान-सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करती हैं— ठीक वैसे ही, जैसे सूर्य देव अपनी रोशनी से धरती को जीवन दान देते हैं।

Read Also- Chhath Puja Weather and Time : छठ के दिन भी लुकाछिपी खेलते रहेंगे सूर्यदेव, जानें सूर्यास्त व सूर्योदय का समय

Related Articles

Leave a Comment