रांची : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा फिर से भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने पर प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने तंज कसा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का आदिवासी विरोधी चेहरा एक बार फिर सामने आया है। उन्होंने कहा कि रघुवर दास जब झारखंड के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने आदिवासियों की अस्मिता से जुड़े सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लाया था। अब उन्हें अचानक संस्कृति की याद आई है। यह किसी से छिपा नहीं है कि अपने शासनकाल में उन्होंने झारखंड की अस्मिता और संस्कृति को खत्म करने का प्रयास किया।
कई बड़े नेता नहीं हुए शामिल
राकेश सिन्हा ने आगे कहा कि रघुवर दास की सदस्यता ग्रहण के साथ ही यह साफ हो गया है कि भाजपा में टूट का खतरा बढ़ गया है। यहीं कारण है कि भाजपा के कई बड़े नेता रघुवर दास के सदस्यता ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब भाजपा विधायक दल का नेता चुनने में असमर्थ रही थी। अब उसी पार्टी ने रघुवर दास को सदस्यता कैसे दिलवा दी। राकेश सिन्हा ने इसे भाजपा की अंदरूनी राजनीति में उथल-पुथल का संकेत बताया। उन्होंने रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा द्वारा झारखंड में किए गए विकास कार्यों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि रघुवर दास के पांच वर्षों के शासनकाल में राज्य को विकास के मामले में एक दशक पीछे धकेल दिया गया। भाजपा को डर है कि आगामी चुनावों में पार्टी की सीटें घट सकती हैं और वह दो सीटों पर सिमट सकती है।
भाजपा पर यह भी आरोप लगाया कि पार्टी आदिवासी समुदाय के नेताओं को हाशिए पर धकेलकर उन्हें अपनी राजनीति से बाहर करना चाहती है। झारखंड में भाजपा आदिवासी समुदाय को अपनी राजनीति से अलग करना चाहती है।