लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने महाकुंभ के दौरान मुस्लिमों के धर्मांतरण की साजिश का आरोप लगाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वह इस साजिश को विफल करें, क्योंकि उन्हें विश्वसनीय सूत्रों से इस मामले में जानकारी मिली है।
धर्मांतरण के आरोप और मुस्लिमों की सुरक्षा
मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यह भी कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस साजिश पर तुरंत कार्रवाई करे। साथ ही उन्होंने मुस्लिमों को महाकुंभ से दूर रहने की सलाह भी दी है, ताकि किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सके।
महाकुंभ से जुड़े विवाद और हिंदू संतों की चिंताएं
महाकुंभ से पहले कुछ हिंदू संतों ने मुस्लिमों को इस मेले से बाहर रखने की मांग की थी। इससे पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) ने यह अपील की थी कि महाकुंभ के लिए सामान केवल हिंदू दुकानदारों से ही खरीदा जाए।
संविधान और मुस्लिम अधिकारों की रक्षा
वहीं, जमीयत उलमा-ए-हिंद के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि मुस्लिमों को महाकुंभ से बाहर रखने की मांग संविधान के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों को धर्म के चश्मे से देखना गलत है।
राजनीतिक बयानों की उथल-पुथल
उत्तर प्रदेश हज समिति के अध्यक्ष मोहसिन रज़ा ने मौलाना शाहबुद्दीन बरेलवी पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग विवाद खड़ा कर राजनीति करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों के महाकुंभ में भाग लेने से कोई भी विश्वास डगमगाने का सवाल नहीं है।
धर्मांतरण के आरोप और प्रतिक्रिया
मौलाना रज़ा ने धर्मांतरण के आरोपों पर कहा कि जिन लोगों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, वे खुद अवैध धर्मांतरण में शामिल थे, और अब उन्हें डर है कि वे जिनका धर्मांतरण कर चुके हैं, वे महाकुंभ में ‘घर वापसी’ करेंगे। इससे साफ है कि महाकुंभ को लेकर धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण में भारी विवाद हो रहा है, और इस पर विभिन्न धर्मों के नेताओं के बीच चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं।