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मिजोरम में वोटों की गिनती अब तीन की जगह चार दिसंबर को होगी

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए हुई वोटिंग के बाद अब काउंटिंग की बारी है। लेकिन इसकी बीच चुनाव आयोग ने एक अहम फैसला लेते हुए मिजोरम में काउंटिंग की तिथि को 3 दिसंबर की जगह 4 दिसंबर कर दिया है। इससे संबंधित नोटिफिकेशन भी आयोग ने जारी कर दी है। इसमें बताया गया है कि यहां काउंटिंग 3 दिसंबर यानी रविवार को होनी थी। जिसके विरोध में एनजीओ कॉर्डिनेशन कमेटी (NGOCC), सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन (CYMA) और मिजो जिरलाई पॉल (MZP) जैसे संगठन प्रदर्शन कर रहे थे। उनका कहना था कि मिजोरम में बड़ी संख्या में क्रिश्चियन समुदाय के लोग रहते हैं।

 

रविवार ईसाइयों के लिए पवित्र दिन है, और ईसाई समुदाय कई धार्मिक कार्यक्रम करता है। ऐसे में काउंटिंग की तिथि को बदल दी जाए। क्योंकि काउंटिंग के कारण इनमें बदलाव करना पड़ेगा। इसकी को देखते हुए आयोग ने काउंटिंग की तिथि 3 दिसंबर से बढ़ाकर 4 दिसंबर कर दिया। विदित हो कि मिजोरम की कुल आबादी करीब 11 लाख इनमें से 9.56 लाख ईसाई हैं। वहीं तिथि में बदलाव को लेकर सभी पार्टियां एकमत थीं

 

राज्य में लगातार हो रहा था विरोध प्रदर्शन: 

 

काउंटिंग की तिथि बदलने को लेकर मिजोरम में लगातर विरोध प्रदर्शन हो रहा था । शुक्रवार (1 दिसंबर) को इन लोगों ने राजभवन के पास एक रैली की। जिसमें NGOCC के चेयरमैन लालह्म छुआना ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि पॉलिटिकल पार्टी, चर्चों और NGO ने चुनाव आयोग से कई बार काउंटिंग की तारीख बदलने की अपील की, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

 

7 नवंबर को हुई थी वोटिंग:

 

अगर मिजोरम की बात करें यहां विधानसभा की कुल 40 सीटें हैं। जिसके लिए 7 नवंबर को वोटिंग हुई थी। राज्य में 77.04% मतदान हुआ था। यह 2018 के चुनाव के मुकाबले 4.57% कम है, जब 81.61% मतदान हुआ था।

 

मतदान के आंकड़ों के मुताबिक, सेरछिप जिले में सबसे ज्यादा 77.78% मतदान हुआ। इसके बाद कोलासिब (77.42%), लौंगतुई (77.35%), और मावलबंग (77.08%) जिलों में मतदान का प्रतिशत अधिक रहा।

 

सबसे कम मतदान सियाहा जिले में हुआ, जहां 52.02% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। आइजोल जिले में 65.06% मतदान हुआ। मतदान के दौरान किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली थी।

 

जानिए मिजोरम में पार्टियों का समीकरण: 

 

मिजोरम की बात करें तो यहां भाजपा का प्रभाव ज्यादा नहीं है। यहां सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF), जोरम पीपुल्स मूवमेंट और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला रहता है।

2018 में कांग्रेस को हराकर MNF ने 10 साल बाद सत्ता हासिल की थी। सबसे बड़ा उलटफेर था कि कांग्रेस तीसरे नंबर पर आ गई और विपक्ष की भूमिका जोरम पीपल्स मूवमेंट के पास चली गई है।

 

जबकि भाजपा को पिछले चुनाव में सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। CM जोरमथंगा की पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) भाजपा के नेतृत्व वाली नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) और केंद्र में सत्ताधारी NDA में शामिल है। हालांकि, MNF मिजोरम में भाजपा से अलग है।

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