पॉलिटिक्स डेस्क। बिहार के पटना में एमपी-एमएलए कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को एक बड़ी राहत दी है। एमपी-एमएलए कोर्ट ने लालू प्रसाद को एक मानहानि केस में बरी करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस मामले का आरोप 2017 में उदयकांत मिश्रा की ओर से लगाया गया था। दरअसल, लालू ने सृजन घोटाला पर बयान दिया था जिसमें उन्होंने उदयकांत मिश्रा पर आरोप लगाया था। यह अदालती फैसला दोनों पक्षों के समझौते पत्र के बाद आया है, जिसका अनुपालन शनिवार को किया गया।
2017 में सृजन घोटाले से जुड़ा था मामला
यह मामला साल 2017 का है। लालू प्रसाद यादव ने भागलपुर में एक जनसभा में अपने संबोधन में उदयकांत मिश्रा को सृजन घोटाले से जुड़े आरोपों में शामिल किया था। इस बयान के पश्चात् उदयकांत मिश्रा ने कानूनी नोटिस भेजते हुए सार्वजनिक रूप् से माफी मांगने को कहा था। लालू प्रसाद पर मानहानि का केस दर्ज करा दिया था। कई साल तक मामला चलने के बाद अब एमपी-एमएलए कोर्ट ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव को बरी कर दिया है।
दोनों पक्षों में समझौते के बाद आया कोर्ट का फैसला
एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोनों पक्षों के समझौते पत्र पर हस्ताक्षर के बाद इस मामले में फैसला सुनाया है। बताया जाता है कि बार-बार कोर्ट की ओर से उपस्थिति दर्ज कराने के आदेश के बावजूद उदयकांत मिश्रा कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे। शिकायतकर्ता और शिक्षाविद उदयकांत मिश्रा की तरफ से कोर्ट में हाजिरी नहीं देने के बाद यह समझौता हुआ। समझौते के पत्र को स्वीकृति मिलने के बाद कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
क्या था सृजन घोटाला
करोड़ों रुपये वाले सृजन घोटाले की खूब चर्चा हुई थी। यह सरकारी धन के दुरुपयोग से जुड़ा मामला था। सरकार के करोड़ों रुपये भागलपुर की एक गैर सरकारी संस्था के खाते में ट्रांसफर कर दी गई थी। मामला सामने आने के बाद आरोप-प्रत्यारोप के दौर खूब चले थे। सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी। लालू प्रसाद व उनके बेटे तेजस्व् ने 2017 में भागलपुर में आयोजित एक रैली में सृजन घोटाले में उदयकांत मिश्रा का नाम लिया था।
राजद में उत्साह, मिल सकता है राजनीतिक लाभ
एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले के बाद लालू प्रसाद यादव को इस मामले से मुक्ति मिली है। इसके पहले लालू प्रसाद यादव पर सृजन घोटाला के आरोपों में अदालत में सुनवाई चल रही थी। इस नए फैसले के बाद, यह एक महत्वपूर्ण ट्विस्ट सामने आ रहा है जिससे बिहार की राजनीति में गहरा प्रभाव हो सकता है। लालू प्रसाद यादव को इस मामले से बरी कर देने से राजद में एक नया उत्साह जगा है।
इसका सीधा असर राजनीतिक समीकरण पर पड़ सकता है। लालू को मिली यह राहत राजद के लिए मोरल बूस्टर बन सकती है। लोगों में इस निर्णय के प्रति अब और भी विश्वास बढ़ा है और इससे लालू प्रसाद यादव को राजनीतिक रूप से लाभ मिलने की बात भी कही जा रही है।
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