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Deadlock continues in Parliament : संसद में अदाणी और संभल हिंसा पर गतिरोध जारी, दोनों सदन नहीं चल सके

by Anand Mishra
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नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अदाणी समूह से जुड़े आरोपों और उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा जैसे मुद्दों पर विपक्षी दलों के विरोध के कारण संसद में गतिरोध बरकरार रहा। शुक्रवार को भी दोनों सदनों की कार्यवाही हंगामे के कारण ठप रही, और लोकसभा की बैठक एक बार स्थगित होने के बाद, दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।

लोकसभा में हंगामा, कार्यवाही स्थगित

जैसे ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू किया, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस सदस्य अदाणी समूह पर लगे आरोपों को उठाने के लिए थे, जबकि सपा सांसद संभल हिंसा के मुद्दे पर विरोध कर रहे थे। बिरला ने कई बार विपक्षी सांसदों से अपील की कि वे अपने स्थान पर जाएं और सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलने दें, लेकिन उनके बार-बार आग्रह के बावजूद हंगामा जारी रहा।

हंगामे के बीच स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कुछ प्रश्नों के उत्तर भी दिए। हालांकि, विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के कारण लोकसभा की कार्यवाही 11:10 बजे स्थगित कर दी गई। फिर दोपहर 12 बजे जब कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो शोर-शराबा फिर से बढ़ गया, जिसके चलते अध्यक्ष ने सदन को 12:10 बजे फिर से स्थगित कर दिया।

राज्यसभा में भी गतिरोध

इसी तरह, राज्यसभा की कार्यवाही भी विपक्षी हंगामे के कारण नहीं चल सकी। सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर 17 नोटिस मिले थे, लेकिन उन्हें स्वीकार करने की स्थिति में नहीं थे। इनमें अदाणी समूह पर भ्रष्टाचार, उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा, मणिपुर हिंसा, और दिल्ली में अपराध बढ़ने जैसे मुद्दे शामिल थे।

धनखड़ ने बताया कि सदस्य इन मुद्दों को रोज उठा रहे हैं, जिससे सदन की कार्यवाही प्रभावित हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी सदस्य नियम 267 का गलत उपयोग कर रहे हैं, जिसके चलते तीन कार्य दिवसों में सदन की कार्यवाही बाधित हो चुकी है। इस पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई, और हंगामा बढ़ गया, जिसके बाद 11:13 बजे राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई।

संसद के शीतकालीन सत्र में कार्यवाही प्रभावित

यह गतिरोध संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे सप्ताह में भी जारी है। 26 नवंबर को भी संसद की बैठक नहीं हो पाई, क्योंकि उस दिन संविधान अपनाए जाने के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

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