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Delhi News : सफेद चूरन से बनी जीवन रक्षक दवाएं बेचने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़, 1 लाख नकली टैबलेट और कैप्सूल बरामद

Fake Drug Racket Busted : 6 साल से दिल्ली-एनसीआर, यूपी-हरियाणा के दुकानदारों को सप्लाई कर रहे थे दवाएं

by Anurag Ranjan
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नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एंटी गैंग स्क्वॉड (एजीएस) ने जीवन रक्षक दवाओं की आड़ में सफेद चूरन से बनी नकली टैबलेट और कैप्सूल बेचने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ (Fake Drug Racket Busted) किया है। पुलिस ने गिरोह के मुख्य सरगना राजेश मिश्रा समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरोह पिछले 6 सालों से दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुरादाबाद, देवरिया, गोरखपुर (यूपी), पानीपत, जिंद (हरियाणा), बद्दी और सोलन (हिमाचल प्रदेश) मेडिकल स्टोर्स को नकली दवाएं सप्लाई कर रहा था। 

ज्वाइंट सीपी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि 30 जुलाई को एचसी जितेंद्र की सूचना पर सिविल लाइंस के एचपी सीएनजी पेट्रोल पंप पर छापा (Fake Drug Racket Busted) मारा गया। वहां मुरादाबाद, यूपी निवासी मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम को वैगनआर कार के साथ नकली दवाओं की खेप ले जाते पकड़ा गया। जीएसके और जॉनसन एंड जॉनसन के विशेषज्ञों ने पैकेजिंग को नकली पाया गया। जांच में सामने आया है कि ये दवाएं सफेद बेस पाउडर (फिलर) से बनाई जाती थीं, जिसमें कोई सक्रिय दवा नहीं होती थी।

हालांकि, प्राथमिक फॉरेंसिक जांच में भी इस चूरन में कोई खतरनाक या जहरीला केमिकल नहीं पाया गया, लेकिन रोगियों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता था क्योंकि ये दवाएं इलाज में असरहीन थीं। पुलिस टीम ने बद्दी (हिमाचल) और जींद (हरियाणा) की दो फैक्ट्रियों से 1.5 क्विंटल से अधिक सफेद पाउडर और 20 किलो कैप्सूल, भारी मात्रा में फर्जी पैकिंग मटेरियल, मशीनें और 10 अधिक ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर छपे बॉक्स जब्त किए गए।

इन ब्रांडेड कंपनियों की नकली दवाएं बरामद

अलट्रासेट (जॉनसन एंड जॉनसन),  ऑगमेटाइन 625 (जीएसके), पैन 40 (अलकेम), बेटनोवेट एन, एमॉक्सीलीन, पीसीएम, प्रोयको स्पैस, कानाकोर्ट इंजेक्शन 

Fake Drug Racket Busted : इस प्रकार फैला था गिरोह का नेटवर्क

मुख्य सरगना राजेश मिश्रा फार्मा इंडस्ट्री में अनुभव के आधार पर नकली उत्पादन का संचालन करता था। परमानंद के फार्मा यूनिट में गोलियां बनाई जाती थीं और प्रेम शंकर जैसे वितरक इन्हें झोला छाप डॉक्टरों तक पहुंचाने के साथ सोशल मीडिया के जरिए ग्राहक खाेजते थे। मो. आलम और सलीम के जरिए दिल्ली-एनसीआर में दवाओं की डिलीवरी होती थी। गिरोह एन्क्रिप्टेड ऐप्स और फर्जी खातों के जरिए लेन-देन करता था। पुलिस का कहना है कि नकली दवाएं लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ है और इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए जांच जारी है।

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