नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बिहार की कुख्यात ‘गोल्ड हाइस्ट गैंग’ का भंडाफोड़ करते हुए एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। पुलिस ने इस अंतरराज्यीय गिरोह के सात कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार कर 75 किलो से अधिक सोने की लूट से जुड़े मामलों का खुलासा किया है। गैंग ने बीते तीन वर्षों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और ओडिशा में सशस्त्र डकैतियां की थीं। पुलिस ने गिरफ्तारियों के दौरान भारी मात्रा में अवैध हथियार, कारतूस, नकदी और लूट का सामान भी बरामद किया है।
गिरफ्तार आरोपी और बरामदगी
गिरफ्तार अपराधियों की पहचान साकलदीप पासवान, फंटूश कुमार, विकास कुमार उर्फ जॉन राइट, रोशन कुमार, पीयूष जायसवाल उर्फ अर्जुन, यश आनंद उर्फ रिशु और रोहित के रूप में हुई है। इनके पास से 14 अवैध ग्लॉक और जिगाना पिस्टल, 12 अतिरिक्त मैगजीन, 255 जिंदा कारतूस, 3.78 लाख रुपये नकद, सोने के आभूषण (6 अंगूठियां, 4 चेन, 1 कंगन), एक क्रेटा कार, फर्जी आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बरामद किए गए।
स्पेशल सेल का ऑपरेशन
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त प्रतीक्षा गोदारा के अनुसार, 24 मार्च 2025 को स्पेशल सेल की नई दिल्ली रेंज की टीम ने इंस्पेक्टर विनय पाल और मनोज कुमार के नेतृत्व में साकलदीप और फंटूश को दिल्ली से गिरफ्तार किया। इनके पास से 10 ग्लॉक पिस्टल, 20 मैगजीन और 195 कारतूस मिले। पूछताछ में खुलासा हुआ कि दोनों ने दिल्ली-एनसीआर में मणप्पुरम गोल्ड लोन, मुथूट फाइनेंस और कैपरी लोन जैसी कंपनियों की रेकी की थी।
5 अप्रैल को गैंग का कुख्यात सदस्य विकास कुमार उर्फ जॉन राइट को पकड़ा गया, जिस पर बिहार पुलिस ने दो लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। उसने स्वीकार किया कि जनवरी 2025 में ओडिशा में 27 किलो सोने और 5 लाख रुपये की लूट में उसकी भूमिका थी। इसके बाद 8 अप्रैल को रोशन कुमार, 10 अप्रैल को पीयूष और यश आनंद, तथा 20 अप्रैल को रोहित को गिरफ्तार किया गया।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी डकैतियां
गैंग ने 2022 में राजस्थान के उदयपुर में 24 किलो और मध्य प्रदेश के कटनी में 17 किलो सोने की डकैतियां की थीं। ये वारदातें बेहद सुनियोजित तरीके से अंजाम दी गई थीं और लूट के बाद आरोपी फरार हो जाते थे।
गैंग का सरगना और नेटवर्क
इस गिरोह का सरगना सुबोध सिंह है, जो फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। वह दिल्ली-एनसीआर में कुख्यात प्रिंस तेवतिया गैंग का सहयोगी रह चुका है। गौरतलब है कि तेवतिया की 2023 में तिहाड़ जेल में हत्या हो गई थी, लेकिन उसका नेटवर्क सक्रिय रहा। सुबोध ने जेल में रहते हुए गिरोह को संगठित किया और हथियारों की सप्लाई तथा गोल्ड लोन एजेंसियों को निशाना बनाने की योजना बनाई।
बताया जा रहा है कि विकास और पीयूष की मुलाकात सुबोध से 2018-19 में जेल के दौरान हुई थी, जहां से अपराध की ये साझेदारी शुरू हुई। साकलदीप ने 2024 में गैंग के प्रिंस को पुलिस हिरासत से छुड़ाने में मदद की थी, जबकि फंटूश को 2022 में नाबालिग बताकर रिहा कर दिया गया था।
पुलिस की आगे की कार्रवाई
स्पेशल सेल अब इस गैंग के हथियार तस्करी नेटवर्क और अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि गैंग एक और बड़ी डकैती की योजना बना रहा था। पुलिस अवैध हथियारों के स्रोत और लूट के माल के खरीदारों का पता लगाने के लिए गहन छानबीन कर रही है।
दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई को एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इस अभियान से जहां अंतरराज्यीय डकैती गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, वहीं हथियारों की तस्करी से जुड़े एक बड़े नेटवर्क को भी उजागर किया गया है। पुलिस का कहना है कि यह जांच आगे भी जारी रहेगी और गिरोह से जुड़े बाकी सदस्यों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।