

धनबाद : धनबाद में कोयला चोरी और इसमें पुलिस की संलिप्तता के आरोपों की सीबीआई जांच के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 20 दिसंबर को सुनवाई होगी। यह मामला झारखंड में कोयला चोरी के संगीन आरोपों से जुड़ा है, जिसमें पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की मांग की गई थी।

झारखंड हाईकोर्ट का आदेश और CBI की भूमिका
झारखंड हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर को सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह धनबाद में कोयला चोरी और इसमें पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता की गहन जांच करे। इस आदेश के तहत कई पुलिस अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया गया था। हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की बेंच ने यह आदेश पारित किया था।

सीबीआई ने इस मामले में अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी है। हालांकि, झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल अंतरिम रोक लगा दी है। इस रोक के चलते धनबाद में कोयला चोरी और पुलिस की संलिप्तता की जांच पर अस्थायी रूप से विराम लग गया है। सुप्रीम कोर्ट में 20 दिसंबर को इस मामले की अगली सुनवाई निर्धारित है।
राज्य सरकार और CBI के तर्क
झारखंड सरकार का कहना है कि हाईकोर्ट का आदेश बिना पर्याप्त आधार के दिया गया है और यह राज्य प्रशासन के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है। दूसरी ओर, सीबीआई का दावा है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच आवश्यक है, क्योंकि इसमें गंभीर आरोप शामिल हैं।
कोयला चोरी का प्रभाव
धनबाद कोयला चोरी का मामला न केवल स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह देश के खनिज संसाधनों की सुरक्षा पर भी गंभीर चिंता पैदा करता है।
विशेषज्ञों की राय
विधि विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला न्यायपालिका और प्रशासन के अधिकार क्षेत्र के बीच संतुलन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस मामले में भविष्य की दिशा तय करेगा।
यह मामला न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। 20 दिसंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सबकी नजरें टिकी हैं।
