लाइफस्टाइल डेस्क : आजकल, जब हम किसी खाद्य पदार्थ को खरीदते हैं, तो अक्सर उस पर एक्सपायरी डेट ढूंढनी पड़ती है। कभी-कभी यह डेट इतनी छिपी होती है कि उसे देख पाना भी मुश्किल हो जाता है। हाल ही में जब मैंने एक बॉक्स में कॉर्न फ्लेक्स देखा, तो मुझे उसके एक्सपायरी डेट को खोजने में काफी मुश्किल हुई। बिस्किट, चॉकलेट, ब्रेड, कोल्ड ड्रिंक, टूथपेस्ट जैसी चीजों पर अक्सर ऐसा होता है, कि एक्सपायरी डेट या यूज बाय डेट इस तरह से लिखी होती है कि जल्दी से पढ़ी न जा सके।
अब सवाल यह उठता है कि, जब एक्सपायरी डेट के बाद किसी उत्पाद का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, तो फिर कंपनियां इसे साफ-साफ क्यों नहीं लिखतीं? क्या इसके लिए कोई नियम नहीं हैं?
क्या एक्सपायरी डेट के लिए नियम हैं?
हां, भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य पदार्थों पर एक्सपायरी डेट या यूज बाय डेट को लेकर कुछ खास नियम तय किए हैं। इसके तहत यह कहा गया है कि उत्पाद पर एक्सपायरी डेट या यूज बाय डेट 3 मिमी फॉन्ट में नीले, काले या सफेद रंग में लिखना आवश्यक है। इतना ही नहीं, यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि यह रंग बैकग्राउंड पर साफ दिखाई दे, ताकि ग्राहक उसे आसानी से देख सके। लेकिन फिर भी हम अक्सर देखते हैं कि कंपनियां इन नियमों का पालन नहीं करतीं और एक्सपायरी डेट ऐसी जगह लिखती हैं, जो आसानी से पढ़ी नहीं जा सकती।
क्या कंपनियां नियमों का उल्लंघन करती हैं?
जी हां, कंपनियां कई बार नियमों का उल्लंघन करती हैं। चॉकलेट, नमकीन, बिस्किट, ब्रेड, पाउडर, क्रीम, टूथपेस्ट जैसी चीजों पर एक्सपायरी डेट इतनी छिपी होती है कि वह जल्दी से नजर नहीं आती। यह विशेष रूप से तब होता है जब उत्पाद की पैकेजिंग पर बहुत छोटे या मुश्किल से पढ़े जा सकने वाले फॉन्ट में एक्सपायरी डेट अंकित की जाती है।
नियमों का उल्लंघन होने पर क्या कार्रवाई होती है?
भारत सरकार के उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अगर एक्सपायरी डेट, यूज बाय डेट, चेतावनी और लेबलिंग से संबंधित नियमों का उल्लंघन किया जाता है, तो इसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। 2023 में ऐसे मामलों में 4,120 सैंपल्स की जांच की गई और कंपनियों से 2.7 करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूला गया। यह दिखाता है कि कानून मौजूद है, लेकिन फिर भी इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
एक्सपायरी डेट के बाद खाद्य उत्पाद का सेवन करने से क्या नुकसान हो सकते हैं?
अगर कोई व्यक्ति एक्सपायरी डेट के बाद का उत्पाद खाता है, तो उसकी क्वालिटी, स्वाद, रंग और गंध में बदलाव आ सकता है। साथ ही, हानिकारक बैक्टीरिया भी विकसित हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं। नोएडा के मानस हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर, डॉ. नमन शर्मा के अनुसार, एक्सपायरी डेट के बाद उत्पाद का सेवन करने से अपच, पेट दर्द, दस्त, उल्टी, फूड पॉइजनिंग, और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक एक्सपायर्ड उत्पादों का सेवन शरीर की इम्यूनिटी पर भी बुरा असर डाल सकता है।
क्या बार कोड और अन्य जानकारी से संबंधित कोई नियम हैं?
FSSAI के नियमों के मुताबिक, सभी खाद्य उत्पादों पर बार कोड होना अनिवार्य है। इस बार कोड के माध्यम से उत्पाद के बारे में सारी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा, उत्पाद पर एक्सपायरी डेट या यूज बाय डेट लिखना भी जरूरी है, और यह डेट ऐसी जगह और तरीके से होनी चाहिए कि उपभोक्ता उसे आसानी से देख सके। लेबल पर उत्पाद की पूरी जानकारी स्पष्ट होनी चाहिए, और इसका फॉन्ट साइज 3 मिमी से कम नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा, अगर उत्पाद शाकाहारी है, तो उस पर हरे रंग का चिन्ह और अगर मांसाहारी है, तो लाल रंग का चिन्ह होना चाहिए। यही नहीं, FSSAI का लाइसेंस नंबर और निर्माता की जानकारी भी लेबल पर अंकित करनी होती है।
अगर नियमों का उल्लंघन हो तो कहां शिकायत करें?
अगर आप किसी उत्पाद पर एक्सपायरी डेट या लेबलिंग से संबंधित नियमों का उल्लंघन देख रहे हैं, तो आप इसे उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा, कंज्यूमर फोरम या “जागो ग्राहक जागो” पोर्टल पर भी आप ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अगर आरोप साबित होते हैं, तो निर्माता, रिटेलर, या दुकानदार पर 10,000 रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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