चेन्नई : देश के जाने-माने नेत्र चिकित्सक और लाखों लोगों के लिए आंख का किफायती इलाज सुनिश्चित करने वाले शंकर नेत्रालय के संस्थापक डॉ. एस एस बद्रीनाथ का मंगलवार को निधन हो गया। 83 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। अमेरिका में शानदार करियर छोड़कर चेन्नई में नॉट-फॉर-प्रॉफिट आई हॉस्पिटल खोला। उन्होंने लाखों लोगों की जिंदगी में रोशनी भरी। डॉ. बद्रीनाथ ने समाज के निचले तबके तक बेहतर आई-केयर पहुंचाने में अहम योगदान दिया। इसी वजह से उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण जैसे सम्मान से नवाजा गया। डॉ. बद्रीनाथ के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों ने ने शोक जताया है।
कौन थे एसएस बद्रीनाथ?
सेंगामेदु श्रीनिवास बद्रीनाथ का जन्म चेन्नई के एक छोटे से शहर में हुआ था। जब उन्होंने युवावस्था में कदम रखा, तब उन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था। एसएस बद्रीनाथ ने मां-बाप के निधन के बाद मिले बीमा के पैसों का उपयोग अपने पैशन यानी मेडिकल साइंस में अपना करियर बनाने में किया।
साल 1978 में शंकर नेत्रालय की स्थापना
बद्रीनाथ के परिवार में उनकी पत्नी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वसंती बद्रीनाथ और दो बेटे अनंत और शेषु हैं। उन्होंने विदेश में अपनी पढ़ाई और रिसर्च पूरी करने के बाद साल 1978 में इसकी स्थापना की थी। डॉ. एसएस बद्रीनाथ को चिकित्सा में चमत्कार करने वाले के रूप में जाना जाता है। उन्होंने एक महान उद्देश्य की दिशा में काम किया। समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मुफ्त चिकित्सा उपचार देने में मदद की। उनका संगठन शंकर नेत्रालय गरीबों के लिए एक मंदिर बन गया।
ऐसे की मेडिकल करियर की शुरुआत
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत न्यूयॉर्क से की। वहां उन्होंने कई आंखों के अस्पतालों में काम किया। इसके बाद साल 1978 में डॉ. बद्रीनाथ ने चेन्नई में एक ऐसे चैरिटबल आई हॉस्पिटल की स्थापना की, जिसने गरीबों का मुफ्त में इलाज करने की नींव रखी। अब यहां लगभग 1200 मरीज अस्पताल के दरवाजे पर आते हैं और प्रतिदिन 100 सर्जरी मुफ्त में की जाती है। डॉ. एस एस बद्रीनाथ के सराहनीय कार्यों के लिए उन्हें 1983 में पद्मश्री और 1999 में पद्म भूषण से नवाजा गया था। उन्होंने आर्थिक रूप से वंचित लोगों को मुफ्त नेत्र देखभाल प्रदान करके समाज में सुधार लाने का काम किया है। इस पहल ने भारतीय स्वास्थ्य सेवा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित किया, जो सुलभ और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा उपचार के लिए एक मॉडल प्रदान करता है।
पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे डॉ. बद्रीनाथ
पीएम मोदी ने कहा, एक दूरदर्शी, नेत्र विज्ञान के विशेषज्ञ और शंकर नेत्रालय के संस्थापक डॉ. एसएस बद्रीनाथ जी के निधन से गहरा दुख हुआ। नेत्र देखभाल में उनके योगदान और समाज के लिए उनकी अथक सेवा ने एक अमिट छाप छोड़ी है। उनका काम पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति संवेदना। ओम शांति।
उपराष्ट्रपति समेत कई लोगों ने जताया दुख
भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, “शंकर नेत्रालय के संस्थापक डॉ. एसएस बद्रीनाथ के निधन की दुखद खबर सुनकर गहरा दुख हुआ। यह एक व्यक्ति-संस्था थी, एक दिग्गज व्यक्ति जिसने इस प्रतिष्ठित अस्पताल का निर्माण किया जो हर जगह से हजारों मरीजों की सेवा करते आए है।
शंकर नेत्रालय के संस्थापक सर्जन डॉ. एसएस बद्रीनाथ का निधन
वहीं, झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा, “हमारे देश के प्रसिद्ध नेत्र अस्पतालों में से एक, शंकर नेत्रालय के संस्थापक और मानद अध्यक्ष, प्रसिद्ध डॉक्टर श्री एसएस बद्रीनाथ जी के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने उनके परिवार और दोस्तों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ एसएस बद्रीनाथ के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ है। अन्नाद्रमुक महासचिव के पलानीस्वामी तथा कई अन्य लोगों ने भी बद्रीनाथ के निधन पर शोक जताया है।
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