ओडिशा : जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के शहर पुरी में स्थित हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। देश के प्रमुख चार धाम में भी इसकी गिनती होती है। हर साल यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है। यहां हर समय श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। इनको देखते हुए अब यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ओडिशा सरकार ने एक खुशखबरी की घोषणा की है।
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने रविवार को कहा कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर में आने वाले भक्तों को जल्द ही मुफ्त ‘महाप्रसाद’ (पवित्र त्रिदेवों को अर्पित किया जाने वाला भोजन) मिलेगा।
योजना का विवरण
उन्होंने बताया कि कार्तिक मास (21 नवंबर) के बाद यह योजना लागू कर दी जाएगी। मुफ्त महाप्रसाद वितरण के फैसले से सरकार को सालाना 14 से 15 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना होगा। कार्तिक मास 23 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है।
सहयोग की संभावना
मंत्री ने बताया कि सरकार कुछ आर्थिक रूप से संपन्न श्रद्धालुओं को इस योजना से जोड़ने का प्रयास कर रही है, और कुछ श्रद्धालु पहले ही इस पहल में सहयोग के लिए सहमत हो चुके हैं।
महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था
कानून मेंत्री ने बताया कि ‘कार्तिक’ माह के दौरान विशिष्ट अनुष्ठान करने वाली महिलाओं के लिए ‘हबिसयाली’ के तहत विशेष व्यवस्था की गई है।
श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाना उद्देश्य
मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक दर्शन को सुव्यवस्थित करने के लिए एक समर्पित प्रणाली स्थापित की जाएगी, ताकि श्रद्धालुओं को 12वीं सदी के मंदिर में आने में कोई कठिनाई न हो।
जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के अंदर किए गए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण की रिपोर्ट अगले कुछ दिनों में प्राप्त होने की संभावना है।
पिछले महीने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और सीएसआईआर-एनजीआरआई के वैज्ञानिकों द्वारा रत्न भंडार के अंदर किसी छिपे हुए कक्ष या सुरंग के अस्तित्व का पता लगाने के लिए यह तकनीकी सर्वेक्षण किया गया था। गौरतलब है कि, मंदिर में हर दिन करीब 60 से 70 हजार लोग दर्शन के लिए आते हैं। विभिन्न उत्सवों में लगभग 2 से ढाई लाख लोग आते हैं। सभी को मुफ्त महाप्रसाद उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है।
जगन्नाथ मंदिर में चमत्कार क्या है
हवा के विपरीत लहराता ध्वज : श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा किस कारण होता है यह तो वैज्ञानिक ही बता सकते हैं, लेकिन यह निश्चित ही आश्चर्यजनक बात है। यह भी आश्चर्य है कि प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है।
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