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दाम्पत्य के प्रेत

by Rakesh Pandey
दाम्पत्य के प्रेत
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1.

 दुःख
असल में ये नहीं कि
उससे बात नहीं कर सकते

बात तो होती है ना
रोज़ ही
सुबह की good morning
रात की goodnight
दोपहर की
खाना खाया ?

दुःख
असल में यूँ होता है
जब वो कहती है

सुनो थोड़ी देर में करते हैं

या वो कहता है
कल करें

हम जानते थे
कि असल में
थोड़ी देर का मतलब
पति को चाय देना था

कल का मतलब
पत्नी को बाहर ले जाना था

हम होने को प्रेमी हो सकते थे
पर हम
अपने निजी दाम्पत्य के
प्रेत थे !

2.

*फूल जब हड़ताल पर होंगे *
एक दिन
फूल सारे हड़ताल पे चले जाएँगे
कि हम क्यों जताएँ तुम्हारा प्यार
कम्बल के नीचे सो रहे होंगे
तारे
थके माँदे
कि कब तक बने उपमा प्यार की
और चाँद
जो सालों साल
बनता रहा प्रेमी का चेहरा
किसी बोदेगा में धुत्त
ऊँघ रहा होगा
कोने की मेज़ पर
जब ना होंगे
फूल
तारे
चाँद
प्रेमी खोजेंगे शब्द
प्यार जताने को
वो गुनगुनाएँगे
कविता
कविता
जो तुम्हारे लिए
लिखी थी निम्मी!

आरहुस विश्वविद्यालय, डेनमार्क में हिंदी अध्यापन

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