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KK : Google का खास ट्रिब्यूट, क्यों KK की यादों को किया जा रहा है ताजा

गूगल ने KK को याद करने का यह कदम उठाया है ताकि नई पीढ़ी के लोग उनके संगीत और योगदान के बारे में जान सकें। गूगल ने उनके कुछ प्रमुख गानों को डूडल के माध्यम से प्रस्तुत किया है।

by Rakesh Pandey
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फीचर डेस्क: गूगल ने प्रसिद्ध गायक कृष्णकुमार कुणाल, जिन्हें हम सब KK के नाम से जानते हैं। उनको एक विशेष ट्रिब्यूट दिया है। यह ट्रिब्यूट किसी जन्मदिन या पुण्यतिथि के मौके पर नहीं है, बल्कि यह उनकी संगीत यात्रा और उनके योगदान को मान्यता देने का एक प्रयास है। तो आइए जानते हैं कि गूगल KK को क्यों याद कर रहा है।

KK का संगीत सफर


KK का जन्म 23 अगस्त 1968 को दिल्ली में हुआ था। उनका संगीत करियर 1990 के दशक में शुरू हुआ और जल्दी ही उन्होंने अपनी मधुर आवाज़ और अनोखे गायन शैली से लाखों दिलों को जीत लिया। उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, बंगाली और मलयालम सहित कई भाषाओं में गाने गाए। उनके गाने “तड़प-तड़प” से लेकर “पल”, “आंखों में तेरी” और “जिया रे” जैसे कई हिट गाने आज भी लोगों की जुबान पर है।

KK का संगीत केवल मनोरंजन नहीं था, वह लोगों के अनुभवों और भावनाओं को उजागर करता था। उनके गाने अक्सर प्रेम, बिछड़ने और जीवन के विभिन्न रंगों को छूते थे। यही वजह है कि उनकी मृत्यु के बाद भी उनके गाने सुनने वालों के दिलों में जीवित हैं।

गूगल का ट्रिब्यूट


गूगल ने KK को याद करने का यह कदम उठाया है ताकि नई पीढ़ी के लोग उनके संगीत और योगदान के बारे में जान सकें। गूगल ने उनके कुछ प्रमुख गानों को डूडल के माध्यम से प्रस्तुत किया है, जो उनके फैंस के लिए एक सराहनीय पहल है। इस ट्रिब्यूट के तहत, गूगल पर जब भी कोई KK के गानों की खोज करेगा, तो उसे उनकी अद्भुत आवाज और उनके गानों की विशेषता के बारे में जानकारी मिलेगी।

KK का प्रभाव


KK का संगीत हर वर्ग के लोगों को पसंद आया। उनका गाना “यारों” आज भी कॉलेज के छात्रों के बीच एक लोकप्रिय गीत है। इस गाने के माध्यम से उन्होंने दोस्ती की अहमियत को दर्शाया है, जो कि हर किसी के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। उनके गाने न केवल सुनने में अच्छे हैं, बल्कि वे गहरे भावनात्मक अर्थ भी रखते हैं।

एक संगीतकार के रूप में उनकी पहचान


KK केवल एक गायक नहीं थे, बल्कि वह एक संपूर्ण संगीतकार थे। उन्होंने कई फिल्मों में गाने के साथ-साथ संगीत की रचना भी की। उनकी आवाज़ में एक खास तरह की गहराई थी, जो किसी भी गाने को जीवंत कर देती थी। उनकी शख्सियत में एक खास बात यह थी कि वह हर गाने को अपने दिल से गाते थे, जिससे उनकी आवाज़ में एक वास्तविकता और सच्चाई का एहसास होता था।

इस तरह के ट्रिब्यूट न केवल उस व्यक्ति को सम्मानित करते हैं, बल्कि समाज को भी यह याद दिलाते हैं कि संगीत का क्या महत्व है। KK जैसे कलाकारों ने हमारी संस्कृति और समाज में गहरी छाप छोड़ी है, और ऐसे ट्रिब्यूट्स उनके योगदान को सहेजने का एक प्रयास हैं।

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