गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ 10 जुलाई, गुरुवार को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के पावन अवसर पर गुरु और शिष्य दोनों की भूमिका में नजर आएंगे। गोरखनाथ मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी गुरु पूर्णिमा पर विशेष आयोजन होगा, जिसमें योगी आदित्यनाथ महायोगी गुरु गोरखनाथ सहित पूर्व पीठाधीश्वरों की पूजा करेंगे और फिर अपने शिष्यों व श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
गुरु-शिष्य परंपरा को प्रतिष्ठित करने वाला यह पर्व नाथपंथ और गोरक्षपीठ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गोरखनाथ मंदिर इस दिन विशेष पूजा, गुरु पूजन और श्रद्धालुओं के सामूहिक सहभोज जैसे आयोजन का केंद्र बन जाता है। यह परंपरा गोरक्षपीठ की मूल पहचान और नाथ संप्रदाय की आध्यात्मिक धारा की प्रमुख विशेषता है।
Guru Purnima : गोरक्षपीठ में अनवरत चल रही गुरु परंपरा
गोरक्षपीठ में पीढ़ी दर पीढ़ी गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाया गया है। महायोगी गुरु गोरखनाथ से लेकर वर्तमान पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ तक सभी ने लोक कल्याण को अपना ध्येय बनाया है।
ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की और गोरखपुर विश्वविद्यालय की नींव रखने के लिए अपने दो महाविद्यालय भी दान किए। साथ ही मंदिर परिसर में आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना भी हुई।
उनके शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के प्रकल्पों को विस्तार दिया। आज इन सभी लोक कल्याणकारी प्रयासों को योगी आदित्यनाथ एक नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं।
गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय की ख्याति अब पूरे पूर्वांचल में है और योग के प्रचार-प्रसार में गोरक्षपीठ की भूमिका निरंतर बढ़ रही है।
10 जुलाई को होगा विशेष पूजन, रामकथा की पूर्णाहुति
गुरुवार सुबह तड़के से गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूजन की शुरुआत होगी। सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ की पूजा की जाएगी और उन्हें परंपरागत रोट अर्पित किया जाएगा। इसके बाद नाथ संप्रदाय के अन्य योगियों की समाधियों और देवी-देवताओं के मंदिरों में विशेष पूजा होगी।
पूजन समाप्ति के बाद सामूहिक आरती का आयोजन किया जाएगा। फिर साधु-संतों, शिष्यों और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देने का क्रम शुरू होगा।
योगी आदित्यनाथ एक-एक शिष्य को तिलक का आशीर्वाद देंगे और बाद में सभी श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देंगे। अंत में मंदिर परिसर में सहभोज (भंडारा) का आयोजन होगा।
गुरु पूर्णिमा के दिन 4 जुलाई से चल रही श्रीरामकथा की पूर्णाहुति भी की जाएगी, जिससे धार्मिक वातावरण और भी भक्तिमय बन जाएगा।
Guru Purnima : गोरक्षपीठ के लिए क्यों है गुरु पूर्णिमा विशेष?
नाथ संप्रदाय में गुरु को ईश्वर के समकक्ष माना गया है। इस परंपरा में माना जाता है कि “गुरु ही ईश्वर है और ईश्वर ही गुरु है”। यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) पर गोरक्षपीठ में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और गुरु के प्रति असीम सम्मान का प्रतीक बन जाता है।