फीचर डेस्क : गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima ) 2025 आज, 10 जुलाई को पूरे भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जा रही है। यह पर्व आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यास को चारों वेदों का संकलनकर्ता और महान आचार्य माना जाता है। गुरु पूर्णिमा केवल हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि बौद्ध और जैन परंपराओं में भी विशेष स्थान रखती है। यह दिन गुरु की महिमा को सम्मानित करने और उनके प्रति श्रद्धा अर्पित करने के लिए समर्पित होता है।
गुरु पूर्णिमा की पूजन विधि (Guru Purnima Pujan Vidhi)
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर को स्वच्छ करें।
पूजा स्थान पर सफेद कपड़ा बिछाकर व्यास पीठ तैयार करें।
उस पर महर्षि वेदव्यास की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
उन्हें चंदन, अक्षत, फूल, फल, धूप, दीप और मिठाई अर्पित करें।
वेदव्यास जी के साथ-साथ शंकराचार्य, शुक्राचार्य व अन्य गुरुओं का स्मरण करें।
परिवार के वरिष्ठ जनों को भी गुरु तुल्य मानकर सम्मान दें और उनका आशीर्वाद लें।
गुरु पूर्णिमा का महत्व (Guru Purnima Significance)
गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर होता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करता है और उन्हें दक्षिणा अर्पित करता है। यह माना जाता है कि गुरु की कृपा से जीवन के समस्त कष्ट समाप्त हो सकते हैं और आध्यात्मिक उन्नति संभव होती है।
Guru Purnima : कौन होता है सच्चा गुरु
गुरु केवल वह नहीं जो शिक्षा दे, बल्कि वह है जो आत्मा को ईश्वर से जोड़ने की क्षमता रखता हो। गुरु के लिए आवश्यक गुणों में शांतचित्त, विनम्रता, कुलीनता, सदाचरण और प्रतिष्ठा का होना अनिवार्य माना गया है।
Guru Purnima : गुरु पूर्णिमा के विशेष उपाय
श्रीहरि विष्णु की पूजा कर उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें, जिससे गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त होती है। करियर में सफलता के लिए अपनी पढ़ाई की पुस्तक में स्वास्तिक चिह्न बनाकर इच्छित लक्ष्य लिखें और उसे मां सरस्वती के पास रखें। गुरु यंत्र की स्थापना कर नियमित पूजन करने से भाग्य में वृद्धि होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।