चाईबासा : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत गुवा में सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) की खदान में गुरुवार को हादसा हो गया था, जिसमें नाबालिग मजदूर कानुराम चाम्पिया की मौत हो गई थी। इसके बाद करीब 12 घंटे तक हंगामा होता रहा। गुरुवार को रात 09.30 बजे सेल प्रबंधन और आंदोलनकारी मजदूरों के बीच लगभग 5 घंटे तक चली वार्ता के बाद समझौता हुआ कि मृतक के आश्रित को 30 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा और एक आश्रित को नौकरी दी जाएगी। इसके बाद आंदोलन समाप्त हुआ और रात लगभग 10 बजे, तृतीय पाली से गुवा खदान में मजदूरों ने उत्पादन शुरू कर दिया।

घटना की खबर मिलते ही जगन्नाथपुर के विधायक सोनाराम सिंकु, जिला परिषद की अध्यक्ष लक्ष्मी सोरेन, एसडीओ छोटन उरांव, एसडीपीओ अजय केरकेट्टा, जिला परिषद की सदस्य देवकी कुमारी, मजदूर नेता रामा पांडेय, पंचायत के मुखिया, संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारी सहित अन्य जनप्रतिनिधियों और प्रबंधन के बीच एक बैठक हुई। इसके बाद पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के साथ सेल के सीजीएम कमल भास्कर, सीजीएम (एचआर) धीरेंद्र मिश्रा पहुंचे।
मुआवजा और नौकरी देने पर बनी सहमति
वार्ता के बाद तय हुआ कि मृतक के परिवार के एक सदस्य को हाई स्किल्ड सप्लाई मजदूर के पद पर नौकरी और 30 लाख रुपये मुआवजा राशि, जिसमें 7.5 लाख के चार चेक देने पर सहमति बनी। इसके बाद रात्रि में 7.5 लाख रुपये का चार चेक मृतक के पिता को दिया गया। इसके साथ ही मृतक का अंतिम संस्कार करने के लिए नगद 15 हजार रुपये एवं पोस्टमार्टम के लिए एक वाहन की व्यवस्था की गई। इसके बाद आंदोलन समाप्त किया गया। गुवा खदान में रात 10 बजे से उत्पादन बहाल हो गया। घटनास्थल पर पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर शुक्रवार को चाईबासा पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

क्यों हुआ था बवाल
गुवा खदान के जीरो प्वाइंट क्षेत्र में निर्माणाधीन भवन में
नाबालिग मजदूर कानुराम चाम्पिया (उम्र 17 वर्ष से कम) की गुरुवार सुबह काम करने के दौरान कार्यस्थल पर गिरने से मौके पर ही मौत हो गई थी। बताया जाता है कि उसे बिना किसी सुरक्षा उपकरण के साथ काम पर लगाया गया था। इस मौत की खबर आग कि तरह फैली। इसके बाद गुवा अस्पताल में शव के साथ आक्रोशित मजदूरों व ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। लेकिन, वहां कोई सुनवाई नहीं हुई तो शव को उठाकर वे सीजीएम कार्यालय (जनरल ऑफिस) के गेट पर ले गए और वहीं धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया।
गुवा थाना प्रभारी व इंस्पेक्टर बम बम कुमार के नेतृत्व में पुलिस बल मौके पर पहुंचा और स्थिति को नियंत्रण में लिया। इसके बाद खदान में ड्यूटी पर जा रहे कर्मचारियों की बसें रोक दी गईं, जिससे उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया।
बाल श्रम कानून की खुली पोल
मृतक कानुराम चाम्पिया की उम्र आधार कार्ड के अनुसार 1 जनवरी 2009 थी, यानी उसकी आयु 17 वर्ष से कम थी। यह स्पष्ट रूप से बाल श्रम कानून का उल्लंघन है। प्रश्न यह उठता है कि बिना उम्र सत्यापन के, बिना सुरक्षा उपकरण के एक नाबालिग को कार्य पर कैसे लगाया गया।
ठेकेदार और अधिकारियों पर मामला दर्ज हों : मजदूर नेता
मजदूर नेता सह जिला परिषद सदस्य जाॅन मिरन मुंडा खबर मिलते ही आंदोलन स्थल पर अपने समर्थकों साथ पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस मामले में ठेकेदार, खान प्रबंधक, सेल के सुरक्षा अधिकारी और कार्य निगरानी में लगे अधिकारी पर भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं में आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
प्रशासन पर भी उठे सवाल
जिला प्रशासन, श्रम विभाग और सेल प्रबंधन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाने वाली सरकार की नाक के नीचे सरकारी उपक्रम में ही बाल श्रमिक की मौत हो जाना श्रम अधिकारों का घोर उल्लंघन है। इसकी जांच कर मामला दर्ज होना चाहिए।
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