सेंट्रल डेस्क : बीते दिनों देश में दो बड़े हवाई हादसों ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। 12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया का विमान क्रैश हुआ, जिसमें 241 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं रविवार सुबह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ से लौट रहा एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें पायलट समेत सभी 7 लोगों की मौत हो गई। दोनों ही हादसे भयावह रहे, लेकिन इससे यह सवाल उठता है कि हेलीकॉप्टर और विमान दुर्घटनाओं में क्या अंतर होता है, और इनमें से कौन ज्यादा खतरनाक माना जाता है? आइए विस्तार से समझते हैं।
हेलीकॉप्टर क्रैश : सीधे नीचे गिरने का खतरा ज्यादा
हेलीकॉप्टर की उड़ान प्रणाली पूरी तरह रोटर ब्लेड्स (घूमने वाले पंखों) पर आधारित होती है। जब ये पंख हवा को नीचे की दिशा में धकेलते हैं, तो हेलीकॉप्टर ऊपर उठता है। यदि पंखों में तकनीकी खराबी, मौसम खराब होने, या पक्षी टकराने जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाए, तो हेलीकॉप्टर सीधे नीचे गिरने लगता है।
हेलीकॉप्टर की डिजाइन ऐसी होती है कि इसमें फ्लाइट गाइडेंस सिस्टम सीमित होता है, इसलिए आपातकालीन लैंडिंग की संभावनाएं कम होती हैं। हादसे में हेलीकॉप्टर तेजी से नीचे गिरता है, और उसमें फंसे लोगों को बच निकलने का समय नहीं मिल पाता। दुर्घटना के बाद आग लगने की संभावना भी ज्यादा होती है।
विमान क्रैश : ग्लाइडिंग और इमरजेंसी लैंडिंग की संभावना होती है
हवाई जहाज यानी एयरप्लेन की उड़ान प्रणाली पूरी तरह विंग्स (पंखों) पर निर्भर करती है, जो फ्लैप्स के माध्यम से नियंत्रित होती हैं। अगर इंजन फेल हो जाए, तब भी विमान कुछ समय तक ग्लाइडिंग मोड में उड़ सकता है। विमान सीधे नीचे नहीं गिरता, बल्कि वह आगे की दिशा में उतरता है और पायलट को इमरजेंसी लैंडिंग का समय और अवसर दोनों मिलता है। हालांकि, किसी बड़ी दुर्घटना की स्थिति में विमान में आग लगना एक बड़ा खतरा होता है, जिससे यात्रियों की जान को खतरा होता है। कुछ मामलों में, विमान से इजेक्शन सिस्टम या पैराशूट का उपयोग कर बचाव संभव होता है, जो हेलीकॉप्टर में सीमित है।
कौन होता है ज्यादा खतरनाक : हेलीकॉप्टर या विमान
विशेषज्ञों के अनुसार, हेलीकॉप्टर की दुर्घटना दर विमान की तुलना में अधिक होती है और इसमें बचने की संभावना भी कम होती है। हेलीकॉप्टर छोटे होते हैं, लो-एल्टीट्यूड पर उड़ते हैं, और मौसम या भौगोलिक कारकों से जल्दी प्रभावित होते हैं। वहीं, विमान उच्च तकनीक से लैस होते हैं और आपात स्थिति में पायलट के पास नियंत्रण की अधिक संभावनाएं होती हैं। अंतरराष्ट्रीय एविएशन रिपोर्ट्स के अनुसार, हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं में मृत्यु दर 35% से अधिक होती है, जबकि विमान दुर्घटनाओं में यह औसत 20-25% के बीच रहती है।