Home » Hindu Rashtra Convention: हिंदू राष्ट्र को जनआंदोलन का रूप देनेवाला हिंदू राष्ट्र अधिवेशन!

Hindu Rashtra Convention: हिंदू राष्ट्र को जनआंदोलन का रूप देनेवाला हिंदू राष्ट्र अधिवेशन!

by Rakesh Pandey
Hindu Rashtra Convention
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

प्रस्तावना/Hindu Rashtra Convention: सैकडों वर्ष के प्रदीर्घ संघर्ष के उपरांत अंततः जनवरी 2024 में अयोध्या की श्रीरामजन्मभूमि पर बने भव्य श्रीराममंदिर में श्री रामलला विराजमान हुए। प्रभु श्रीराम के अयोध्यापति बनने के उपरांत पृथ्वी पर रामराज्य अवतरित हुआ था। श्रीराममंदिर के निर्माण के उपरांत हिंदू मानस को अब आहट लगी है रामराज्यरूपी हिंदू राष्ट्र का ! कुछ वर्षों तक जहां हिंदू राष्ट्र शब्द का उच्चारण भी अपराध होने जैसी स्थिति थी; परंतु आज हिंदू राष्ट्र की चर्चा केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अपितु विश्वस्तर पर हो रही है।

यह काल की महिमा है। कोई घटना स्थूल होने से पूर्व सूक्ष्म से घटित होती है, ऐसा शास्त्र बताता है। रामायण घटित होने से पूर्व वाल्मिकी ऋषि ने उसे लिखा था। श्रीराम मंदिर का निर्माण तो सूक्ष्म से रामराज्य का अर्थात हिंदू राष्ट्र का आरंभ ही है। जिस श्रीराम के लिए संपूर्ण विश्व के हिंदू श्रद्धालु जात-पात-दल-संप्रदाय आदि सभी भेद भूलाकर उत्साह के साथ एक हुए, ऐसा ही संगठन एवं समर्पण हिंदू राष्ट्र हेतु भी हो। रामराज्यरूपी हिंदू राष्ट्र के लिए यह जो जनआंदोलन खडा हो रहा है, वह शीघ्रातिशीर्घ सफल संपूर्ण हो, यह प्रार्थना !

Hindu Rashtra Convention: हिंदू राष्ट्र की संकल्पना

हिंदू राष्ट्र की संकल्पना राजनीतिक नहीं, अपितु धर्माधिष्ठित है । संविधान में केवल ‘सेक्यूलर’ शब्द के स्थान पर ‘हिंदू राष्ट्र’ शब्द अंतर्भूत करने तक ही हिंदू राष्ट्र सीमित नहीं है, अपितु हिंदू राष्ट्र तो एक आदर्श राजव्यवस्था है। रामराज्य ने आदर्श राज्यव्यवस्था का मापदंड सुनिश्चित कराया है। आज लाखों वर्ष बीत गए; परंतु आज भी ‘रामराज्य’ लोगों की स्मृति में है; क्योंकि उसे धार्मिक अधिष्ठान प्राप्त था।

उसके कारण रामराज्य के नागरिक सुसंस्कृत, सुखी एवं संतुष्ट थे। वहां भ्रष्टाचार, महामारी, प्राकृतिक आपदा आदि का कोई स्थान नहीं था। महर्षि वाल्मिकी ने रामायण के ‘युद्धकांड’ में ऐसा लिखा है, ‘श्रीराम के शासनकाल में कभी भी विलाप सुनाई नहीं दिया।’ विगत 11 वर्षों से ‘अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ में ऐसे रामराज्य की तर्ज पर स्थित धर्माधिष्ठित हिंदू राष्ट्र का उद्घोष किया जा रहा है। हिंदू राष्ट्र का अर्थ केवल हिंदुओं का राष्ट्र ऐसा नहीं है, अपितु विश्वकल्याण हेतु कार्यरत सात्त्विक लोगों का राष्ट्र!

Hindu Rashtra Convention: हिंदू राष्ट्र की आवश्यकता

आज की सेक्यूलर व्यवस्था हिंदुओं का दमन तथा अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करनेवाली व्यवस्था है। सेक्यूलर व्यवस्था में मंदिरों का सरकारीकरण किया जाता है; मंदिरों के कोष का उपयोग अन्य पंथियों के लिए किया जाता है; किंतु अन्य पंथियों के प्रार्थनास्थलों का सरकारीकरण नहीं होता। सेक्यूलर व्यवस्था में देवता-देश-धर्म की रक्षा हेतु जनजागरण करना सीधे ‘हेट स्पीच’ माना जाता है; परंतु सनातन धर्म की तुलना डेंग्यू, मलेरिया, कुष्ठरोगों के साथ कर सनातन धर्म का निर्मूलन करने की भाषा बोलनेवालों पर कार्यवाही नहीं होती।

सेक्यूलर व्यवस्था ने अन्य पंथियों को सरकारी अनुदान से उनके धर्म के अनुसार शैक्षणिक संस्थान स्थापन करने की अनुमति होती है; परंतु इस देश में रहनेवाले 100 करोड हिन्दुओं के लिए इसकी अनुमति नहीं है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करनेवाले करोडों बांग्लादेशी तथा लाखों रोहिंग्याओं की घुसपैठ पर मौन बने रहते हैं। आज भी हिन्दुओं की चुन-चुन कर हत्याएं की जा रही हैं।

उत्तर प्रदेश के बदायूं में धर्मांधों ने 2 कोमल बच्चों की गर्दनें काटने की भीषण घटना सामने आई थी। जहां संपूर्ण देश में इस घटना की निंदा हो रही थी, वहां पुलिस के साथ की मुठभेड में दोषी धर्मांध के मारे जाने पर उसके अंतिमसंस्कार में 30 हजारों का समुदाय इकट्ठा हुआ था।

यह देश के लिए संकटभरी चेतावणी है। ‘लव जिहाद’, ‘हलाल जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’ आदि माध्यमों से भारत के तथा हिन्दू समाज को खोखला करने का प्रयास हो रहे हैं। कुछ दिन पूर्व ‘इत्तेहाद मिल्लत काऊंसिल’ के प्रमुख मौलाना तौकीर ने ‘मुसलमान युवक यदि नियंत्रण के बाहर चले गए, तो देश में आंतरिक युद्ध भडक सकता है’, यह खुलेआम धमकी दी थी। दक्षिण एशिया का बडे शिक्षा संस्थान ‘दारुल उलुम देवबंद’ ने भारत को ‘गजवा-ए-हिंद’ बनाने का अर्थात भारत के इस्लामीकरण का फतवा दिया है।

ये सभी घटनाएं सेक्यूलर व्यवस्था की असफलता दर्शानेवाली तथा हिंदू राष्ट्र की आवश्यकता दर्शानेवाली हैं।हिंदू धर्म, साथ ही राष्ट्र पर हो रहे आघातों का ‘हिंदू राष्ट्र’ की स्थापना ही एकमात्र उत्तर है। जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘हिंदवी स्वराज’ स्थापन होने के उपरांत इस्लामी आक्रांताओ का हुडदंग समाप्त हुआ, वैसे ही हिंदू राष्ट्र की स्थापना होते ही वर्तमान अराजक रूकेगा!

Hindu Rashtra Convention: अधिवेशनों की फलोत्पत्ति

हिंदू राष्ट्र का उद्घोष जनमानसतक पहुंचाने में अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशनों का बडा योगदान है, साथ ही व्यवस्था में हिंदू हित की दृष्टि से परिवर्तन आन में भी इन अधिवेशनों का योगदान रहा है। वर्तमान समय में ‘सीएए’ (नागरिकता संशोधन कानून) लागू हुआ है। हिंदू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के संदर्भ में प्रथम अधिवेशन से ही ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित किए जाते थे। इस कानून का प्रारूप सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जो बैठक बुलाई गई थी, उसमें हिंदू जनजागृति समिति को आमंत्रित किया गया था।

उसके साथ ही लव जिहाद एवं हलाल जिहाद के विरोध में अधिवेशन में विचारमंथन एवं कार्यान्वयन प्रारूप सुनिश्चित किए जाने के उपरांत आज उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, कर्नाटक आदि राज्यों में लव जिहादविरोधी कानून बनाए गए, जबकि उत्तरप्रदेश में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया । केंद्र सरकार ने ‘एपेडा’के (कृषि एवं प्रक्रियायुक्त खाद्यान्न उत्पादन निर्यात विकास प्राधिकरण) की नियमावली में संशोधन कर मांस उत्पादकों एवं उसके निर्यातकों के लिए अनिवार्य ‘हलाल’ शब्द को हटा दिया गया है ।

इसके साथ ही अधिवेशन में गठत हिंदू विधिज्ञ परिषद ने सरकारीकृत मंदिरों में चल रहा भ्रष्टाचार उजागर किया । आज हिंदू हित की रक्षा हेतु तथा हिंदू विरोधी घटनाओं पर लगाम लगाने हेतु हिंदू विधिज्ञ परिषद क्रियाशील बन गई है। अधिवेशन में मंदिर संस्कृति की रक्षा हेतु विचारमंथन होकर जो कार्यान्वयन प्रारूप सुनिश्चित किया गया, उसके उपरांत लगभग एक हजार से अधिक मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू की गई है। कर्नाटक में मंदिरों पर कर (टॅक्स) लगाने का निर्णय कांग्रेस सरकार को रद्द करना पडा।

इस अधिवेशन में देश-विदेशों से आनेवाले हिंदुत्वनिष्ठ, साथ ही राष्ट्रनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहकर हिन्दू राष्ट्र के कार्य को गति प्रदान करते हैं। इसके फलस्वरूप अभी तक के अधिवेशनों के माध्यम से 1000 से अधिक हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों का संगठन बन गया है, हिंदू राष्ट्र के विषय में जागृति लानेवाले 1800 से अधिक आंदोलन किए गए हैं, 2000 से अधिक व्याख्यान, जबकि प्रांतीय स्तर पर 200 से अधिक हिंदू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न हुए हैं। हिंदू राष्ट्र का आंदोलन जनमानसतक पहुंचाने में हिंदू राष्ट्र अधिवेशन का बडा योगदान है।

वर्तमान समय में विश्वस्तर पर हिंदू परिषदें आयोजित की जा रही हैं तथा आध्यात्मिक महोत्सव मनाए जा रहे हैं। वैचारिक, संवैधानिक एवं कार्यान्वयन के स्तर पर किए गए हिंदू राष्ट्र के बीजारोपण में अधिवेशन का योगदान है। ‘सामर्थ्य है आंदोलन का; परंतु वहां भगवान का अधिष्ठान आवश्यक है’, इस वचन के अनुसार संतों के आशीर्वाद तथा ईश्वर की कृपा से यह अधिवेशन सफल हो रहा है।

Hindu Rashtra Convention: इस वर्ष का अधिवेशन

इस वर्ष भी 24 से 30 जून की अवधि में फोंडा, गोवा में ‘वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव’ अर्थात् द्वादश ‘अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ संपन्न होनेवाला है। सनातन धर्म की वैचारिक सुरक्षा, हिंदू समाज की रक्षा के उपाय, हिंदू राष्ट्र हेतु संवैधानिक प्रयास, मंदिर संस्कृति की रक्षा के उपाय तथा विश्वस्तर पर हिन्दुत्व की रक्षा इस वर्ष के अधिवेशन के प्रमुख पहलू होंगे।

हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, तमिलनाडु स्थित संगठन हिंदू मक्कल कच्छी के संस्थापक-अध्यक्ष अर्जुन संपत, भाजपा के हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक टी. राजासिंह, साथ ही काशी-मथुरा मंदिरों की मुक्ति हेतु कानूनी लडाई लडनेवाले सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन आदि अनेक प्रमुख वक्ता इस अधिवेशन को संबोधित करेंगे।

यह अधिवेशन हिंदू जनजागृति समिति के www.hindujagruti.org इस जालस्थल पर ऑनलाइन देखा जा सकेगा। ‘सुखी-संतुष्ट-सुरक्षित जीवन की हिंदू राष्ट्र ही गारंटी होने’ से हिंदू राष्ट्र के इस आंदोलन में सभी सम्मिलित हों।

 

Read also:- Chang’s e-6: चांद के अंधेरे हिस्से से मिट्टी लेकर वापस लौट रहा चीन का मून मिशन

Related Articles