जमशेदपुर : रांची के उपायुक्त (डीसी) के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से आईएएस अधिकारी मंजूनाथ भजंत्री लगातार चर्चाओं में हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और चुनाव आयोग की ओर से की गई सख्ती के बाद, अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने उनके समर्थन में खुलकर सामने आकर इस मामले को और गरमा दिया है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में मंजूनाथ भजंत्री पर आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि भजंत्री को हेमंत सोरेन ने रांची के डीसी पद पर इसलिए नियुक्त किया था ताकि झामुमो और कांग्रेस को महिला वोट दिलाने में मदद मिल सके। निशिकांत दुबे ने सवाल उठाया कि आचार संहिता लागू होने के बाद भजंत्री कितनी बार ग्रामीण विकास मंत्री और सचिव से मिले हैं? उन्होंने इस मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की।
निशिकांत दुबे की इस टिप्पणी के बाद झामुमो ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने दुबे की पोस्ट पर रिट्वीट करते हुए लिखा, “एक दलित आईएएस अफसर के लिए इस तरह के अपमानजनक शब्द क्यों? दलित और आदिवासी ही हमेशा इनके निशाने पर क्यों होते हैं?” झामुमो ने दुबे पर सामंतवादी मानसिकता का आरोप लगाते हुए कहा कि जब एक गरीब पृष्ठभूमि से निकला दलित आईएएस बन जाता है और इनके सामने झुकता नहीं, तो इन्हें यह बर्दाश्त नहीं होता।
मंजूनाथ भजंत्री: कौन हैं ये आईएएस अधिकारी?
मंजूनाथ भजंत्री, 2011-बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वे आईआईटी-बॉम्बे से बी.टेक स्नातक हैं और एक ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं। उन्हें 2020 के अंत में झारखंड में सेवा के लिए वापस बुलाया गया, इससे पहले वे मोदी सरकार के तहत विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके थे, जिनमें रेल राज्य मंत्री के निजी सचिव और नीति आयोग के उपाध्यक्ष का पद शामिल है।
दलित कार्ड और झामुमो का समर्थन
झामुमो ने इस मामले में दलित कार्ड खेलते हुए कहा कि भाजपा के निशाने पर हमेशा दलित और आदिवासी रहते हैं। झामुमो ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ऐसे अधिकारियों को बार-बार निशाना बनाकर अपमानित करने की कोशिश करती है जो उनके सामने झुकने को तैयार नहीं होते। इसके अलावा, झामुमो ने भाजपा के दलित नेता अमर बाउरी पर भी सवाल उठाया कि क्या उन्हें इस तरह के बयानों पर शर्मिंदगी महसूस नहीं होती। इस विवाद ने झारखंड की राजनीति को और गरमा दिया है, जिसमें आईएएस अधिकारी मंजूनाथ भजंत्री अब केंद्र में आ गए हैं। भाजपा और झामुमो के बीच इस मुद्दे पर लगातार बढ़ती बयानबाजी से यह मामला और तूल पकड़ रहा है।
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