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IIT Amazing Smart Glass : आईआईटी इंदौर का ‘स्मार्ट ग्लास’, गर्मियों में कूल व सर्दियों में गर्म रहेगा घर

by Anand Mishra
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Indore (Mdhya Pradesh) : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर के वैज्ञानिक एक ऐसी अभूतपूर्व तकनीक पर काम कर रहे हैं, जो भविष्य में इमारतों के निर्माण और उन्हें ठंडा या गर्म रखने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकती है। संस्थान के रसायन विज्ञान विभाग के अनुसंधानकर्ता एक विशेष ‘पोरस ऑर्गेनिक पॉलीमर’ (POP) की मदद से ‘स्मार्ट ग्लास’ विकसित कर रहे हैं। यह ‘स्मार्ट ग्लास’ खिड़कियों के पारंपरिक उपयोग को बदलकर इको-फ्रेंडली इमारतों के निर्माण में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

कैसे काम करेगा यह ‘स्मार्ट ग्लास’?

आईआईटी इंदौर के अधिकारियों ने बताया कि रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. सायंतन सरकार ‘ट्रांसलेशनल रिसर्च फैलोशिप’ (TRF) के तहत बिजली से चलने वाला यह ‘स्मार्ट ग्लास’ बनाने की परियोजना पर गहनता से काम कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण परियोजना को रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. सुमन मुखोपाध्याय और भौतिकी विभाग के प्रोफेसर राजेश कुमार के मार्गदर्शन में आगे बढ़ाया जा रहा है।

अधिकारियों के अनुसार, यह ‘स्मार्ट ग्लास’ नए विकसित ‘वायलोजन’ पर आधारित POP की मदद से तैयार किया जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अपने माध्यम से गुजरने वाले सूर्य के प्रकाश और ऊष्मा की मात्रा को नियंत्रित कर सकता है। अधिकारियों ने बताया, “इस ‘स्मार्ट ग्लास’ की सबसे खास बात यह है कि यह बिजली के प्रति त्वरित प्रतिक्रिया करता है, जिससे यह अपना रंग और पारदर्शिता का स्तर तुरंत बदल सकता है।” इसका सीधा अर्थ यह है कि किसी कमरे में सूर्य के प्रकाश और ऊष्मा के प्रवेश की तीव्रता को आवश्यकतानुसार नियंत्रित किया जा सकता है। नतीजतन, यह तकनीक किसी भी इमारत को गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रखने में अत्यंत प्रभावी सिद्ध होगी।

ऊर्जा बचत और पर्यावरण संरक्षण में भूमिका

यह ‘स्मार्ट ग्लास’ न केवल इमारतों के भीतर तापमान को नियंत्रित करेगा, बल्कि यह एयर कंडीशनर और बिजली से चलने वाले प्रकाश उपकरणों की आवश्यकता को भी काफी हद तक कम कर देगा। इससे ऊर्जा की भारी बचत होगी और जाहिर तौर पर कार्बन उत्सर्जन में भी कटौती आएगी, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। अधिकारियों ने बताया, “इस ‘स्मार्ट ग्लास’ को कमरों के पर्दों की जगह लगाया जा सकता है और भविष्य में यह खिड़की की पारंपरिक प्रणालियों की जगह भी ले सकता है। इससे सचमुच पर्यावरण हितैषी भवन बनाने में मदद मिल सकती है।”

आईआईटी इंदौर इस ‘स्मार्ट ग्लास’ के बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक उत्पादन के लिए उद्योग जगत के भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह नवाचार निश्चित रूप से भवन निर्माण क्षेत्र में एक क्रांति ला सकता है और हमें अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर ले जा सकता है।

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