– कुछ अवैध निर्माणों को अंशिक रूप से ध्वस्त कर उच्च न्यायालय में गलत प्रतिवेदन सौंपा जा रहा
जमशेदपुर : illigal construction: जमशेदपुर में झारखंड सरकार के बिल्डिंग बायलॉज का घोर उल्लंघन हो रहा है, जिसके कारण झारखंड हाईकोर्ट ने नक्शा विचलन कर निर्माण हुए भवनों के अवैध भाग को तोड़ने का स्पष्ट निर्देश दिया है, परंतु इस निर्देश का अनुपालन जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस द्वारा पक्षपातपूर्ण तरीका से किया जा रहा है।
ये बातें जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहीं। बिष्टुपुर स्थित आवासीय कार्यालय में सरयू ने रविवार को प्रेस वार्ता में कहा कि जिनकी ऊंची पैरवी है, उनकी तरफ जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस नजर नहीं उठा रहे हैं। जो अवैध भवन निर्माता सरकार में बैठे लोग, जिनमें मंत्री भी शामिल हैं, के दरबार में हाजिरी लगाते हैं, उनके नक्शा विचलन की ओर प्रशासन और अक्षेस का ध्यान नहीं जा रहा है।
कुछ अवैध निर्माणों को अंशिक रूप से ध्वस्त कर उच्च न्यायालय में गलत प्रतिवेदन सौंपा जा रहा है। उदाहरण के लिए साकची ठाकुरबाड़ी रोड के प्लॉट नं. 52 और 46 पर बने अवैध निर्माण और बाराद्वारी के प्लॉट नं. 122 पर निर्माणाधीन संरचना की अनदेखी की जा रही है, जबकि उच्च न्यायालय द्वारा गठित टीम की सूची में भी ये संरचनाएं शामिल हैं। साकची में ही ‘साकची फार्मा’ के भवन का जी प्लस-2 का नक्शा पारित कर 5 तल्ला निर्माण हो गया है और पार्किंग एरिया भी नहीं है। ‘अपेक्स अस्पताल’ के भवन के निर्माण में भी भारी नक्शा विचलन हुआ है और इन भवनों के नक्शा को अनियमित रूप से पारित किया गया है। टीके कंस्ट्रक्शन की रीगल चौक पर बनी बिल्डिंग जिसमें ‘क्रोमा’ और ‘ऑक्सीजन’ जैसे उपक्रम चल रहे हैं, उनका नक्शा अनियमित और भारी विचलन होने के बावजूद उच्च न्यायालय का आदेश इनपर लागू नहीं हो रहा है। रात 10 बजे तक सामने की सड़क पर 2-3 कतार में वाहन पार्क हुए दिखाई पड़ते हैं।
झारखंड बिल्डिंग बायलॉज के सेक्शन 440 में कमर्शियल एवं आवासीय भवनों के कितने हिस्से में पार्किंग रहेगा और कितना हिस्सा सैट बैक छोड़ना पड़ेगा, इसका प्रावधान है परंतु जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस इन प्रावधान को लागू किए बिना ही नक्शा पारित कर दे रही है। जमशेदपुर अक्षेस में पंजीकृत गलत नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट पर कोई कारवाई नहीं हो रही है। जिन अधिकारियों ने विगत 10 वर्षों में गलत नक्शा पारित किया है, उन पर तो सेक्शन 438 का उपयोग ही नहीं हो रहा है, जिसमें अनियमितता बरतने वालों पर प्राथमिकी दर्ज करने का प्रावधान है।
इससे भी बदतर स्थिति निर्मित एवं निर्माणाधीन भवनों को ऑक्यूपेंशी सर्टिफिकेट देने में हो रही है। इसमें जमशेदपुर अक्षेस और टाटा स्टील के टाऊन डिवीजन दोनों ही नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। संक्षेप में भवनों का नक्शा पास करने और इन्हें ऑक्यूपेंशी सर्टिफिकेट देने में और नक्शा पारित करने में घोर धांधली हो रही है। जो सरकारी अधिकारी अनियमितताओं को दूर करना चाहते हैं, विचलन रोकना चाहते हैं, अवैध निर्माण को ध्वस्त करना चाहते हैं, उनके ऊपर सरकार में बैठे लोगों का राजनीतिक दबाव पड़ जा रहा है।
illigal construction: हाई कोर्ट के याचिकाकर्ता ने भी पक्षपात की बात कही
सरयू राय ने कहा कि कल मैं अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और हाई कोर्ट के याचिकाकर्ता राकेश झा से मिला। उन्होंने भी कहा कि जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस के स्तर पर उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने में भारी पक्षपात हो रहा है। जमशेदपुर में दो नगर पालिका चल रही है। एक झारखंड सरकार की और दूसरी टाटा स्टील की। नगर पालिका का यह डबल इंजन अलग अलग पटरियों पर दौड़ रहा है, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। मैंने अधिवक्ता और याचिकाकर्ता को आश्वस्त किया है कि जमशेदपुर में नगरपालिका के दोहरे प्रचलन के चलते आम जनता को हो रहे नुकसान और अवैध भवनों के निर्माण के कारण जनसुविधाओं में आ रही कठिनाइयों के मद्देनजर जनहित में जरूरी हुआ तो मैं उच्च न्यायालय में चल रहे प्रासंगिक मामले में हस्तक्षेप करने के लिए तैयार हूं।