सेंट्रल डेस्क: भारत और चीन के बीच फिर से वाकयुद्ध छिड़ गया है। भारत सरकार ने कहा कि भारत को इस बात की जानकारी है कि चीन ने दो नए जिलों की स्थापना की है, जिनके कुछ हिस्से लद्दाख में आते हैं और इस पर भारत ने “गंभीर” विरोध दर्ज कराया है।
लोकसभा में विदेश राज्य मंत्री ने दिया जवाब
लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश मंत्रालय के राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि भारत ने कभी भी भारत की इस क्षेत्र में अवैध चीनी कब्जे को स्वीकार नहीं किया है।
भारत सरकार ने कभी भी इस क्षेत्र में भारत की संप्रभुता के संबंध में चीन के अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है। नए जिलों का निर्माण भारत के इस क्षेत्र पर अपनी लंबे समय से चली आ रही और स्थिर स्थिति को प्रभावित नहीं करेगा, न ही यह चीन के अवैध कब्जे को वैधता प्रदान करेगा।
विरोध दर्ज करा चुकी है सरकार
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने इस विकास पर “गंभीर विरोध” दर्ज कराया है और यह विरोध कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से किया गया है। मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार को “चीन द्वारा होतान प्रिफेक्चर में दो नए जिलों की स्थापना की जानकारी है, जिनमें भारतीय क्षेत्र लद्दाख का कुछ हिस्सा शामिल है”, यदि हां, तो इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार इसके लिए कौन-कौन से रणनीतिक और कूटनीतिक कदम उठा रही है।
चीन की हरकतों की सरकार को है जानकारी
इस सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा, भारत सरकार को चीन द्वारा होतान प्रिफेक्चर में तथाकथित दो नए जिलों की स्थापना के बारे में जानकारी है। इन तथाकथित जिलों के क्षेत्राधिकार के कुछ हिस्से भारत के लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र में आते हैं।
इस सवाल में यह भी पूछा गया था कि भारत ने इन जिलों के निर्माण पर जो विरोध दर्ज कराया है, उसके बारे में और चीनी सरकार से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है या नहीं।
सभी घटनाक्रमों पर रखी जा रही नजर
मंत्री ने कहा, भारत सरकार सीमा क्षेत्रों के विकास के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार पर विशेष ध्यान देती है, ताकि इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके, साथ ही भारत की रणनीतिक और सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।” उन्होंने यह भी बताया कि सरकार भारत की सुरक्षा से संबंधित सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखती है और अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाती है।