सेंट्रल डेस्क। भारत का यह हवाईक्षेत्र तैयार होने के बाद दुनिया का सबसे ऊंचा एयरबेस के रूप में भी जाना जाएगा। यहां से भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान व हमारे जांबाज वायु सैनिक चीन का मुकाबला करने के लिए हमेशा चुस्त और तैयार रहेंगे। चीन की आंख में आंख डालकर उसकी नश्तर तक उतरने के लिए इसका निर्माण किया जा रहा है।
भारत में होगा दुनिया का सबसे ऊंचा लड़ाकू हवाई क्षेत्र
जी हां, न्योमा का यह एयरबेस चीन को सबक सिखाने और अपी रक्षा पंक्ति को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए काफी होगा। दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाकू क्षेत्र में हवाईक्षेत्र का निर्माण शुरू कर दिया गया है। लद्दाख स्थित न्योमा इलाके में विश्व के सबसे ऊंचे लड़ाकू हवाई क्षेत्र की परियोजना का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू के देवक ब्रिज से शिलान्यास कर किया।
सीमा सड़क संगठन करेगा निर्माण, 218 करोड़ रुपये लागत
Border Road Organisation : इस एयरबेस के निर्माण की जिम्मेदारी भी भारत के मजबूत और विश्वसनीय संस्था बॉर्डर रोज आर्गनाइजेशन यानी सीमा सड़क संगठन चीन के साथ एलएसी पर चल रही तनातनी को देखते हुए,इसका निर्माण सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ करेगा। लद्दाख का यह न्योमा क्षेत्र समुद्र तल से 13 हजार 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी कुल लागत 218 करोड़ रुपए आने जा रही है।
कुल 90 परियोजनाओं का किया गया उदघाटन
दरअसल भारत अपनी सुरक्षा के साथ-साथ मारक क्षमता बढ़ाने में लगातार लगा हुआ है। जम्मू के देवक ब्रिज से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सीमा सड़क संगठन के 22 सड़कों, 63 पुलों, अरुणाचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग, पश्चिम बंगाल में दो हवाई क्षेत्रों और दो हेलीपैड का उदघाटन किया। इसमें से पश्चिम बंगाल में, नागालैंड में एक, हिमाचल प्रदेश में दो, सिक्क्मि में दो, उत्तराखंड में दो, मिजोरम में तीन, जम्मू और कश्मीर में 11, लददाख में 26 और अरुणाचल प्रदेश में 36 परियोजना शामिल है। इन परियोजनाओं को कई नजरिए से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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