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Indian Army drones : भारतीय सेना में शामिल होंगे आधुनिक ड्रोन, ड्रेन क्षमता बढाने में जुटा भारत

चीन व पाकिस्तान से बेहतर ड्रेन तैयार करने की योजना, और मारक बनाए जाएंगे इसराइली ड्रोन

by Mujtaba Haider Rizvi
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सेंट्रल डेस्क : आने वाला समय युद्धों का होगा। मध्य पूर्व में जंग छिड़ी हुई है। यूक्रेन और रूस भी भिड़े हुए हैं। इस युद्ध के महायुद्ध में तब्दील होने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में भारत भी अपनी सैन्य क्षमता पर पूरा ध्यान दे रहा है।
भारतीय सेना अपनी युद्ध क्षमता को आधुनिक बनाने के लिए अपने ड्रोन बेड़े को मज़बूत करने की दिशा में अहम कदम उठा रही है। यह योजना न केवल ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रेकी) और सटीक हमलों को बेहतर बनाने के लिए है, बल्कि भविष्य के युद्धों के लिए रणनीतिक तैयारी का हिस्सा भी है। हाल के वर्षों में रूस-यूक्रेन और आर्मेनिया-अजरबैजान जैसे संघर्षों में ड्रोन के महत्व को लेकर स्पष्ट संदेश मिला है कि आधुनिक युद्ध में इनकी अहम भूमिका होती है। ऐसे में भारतीय सेना अब अपनी ड्रोन क्षमता को बढ़ाने के लिए युद्धरत है, जिससे वह हर स्थिति में सटीक, प्रभावी और दूरगामी कार्रवाई कर सके।

ड्रोन की अहमियत और भविष्य के युद्धों में इनकी भूमिका


भारतीय सेना की योजना भविष्य में किसी भी संभावित युद्ध स्थिति के लिए खुद को तैयार करने की है। इसके तहत, वह विशेष रूप से उन ड्रोन पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो न केवल लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम हों, बल्कि दुश्मन के रडार से बचकर 30,000 फीट से ऊपर उड़ने के साथ-साथ 24 घंटे से अधिक उड़ान भर सकें। इन ड्रोन का मुख्य उद्देश्य दुश्मन की हर गतिविधि पर नज़र रखना, जानकारी इकट्ठा करना और सटीक हमले करना है। इसके अलावा, इन ड्रोन के जरिए सैनिकों को रियल-टाइम में स्थिति का आकलन करने में मदद मिलेगी, जो युद्ध के मैदान में निर्णायक साबित हो सकता है।

स्वदेशी और विदेशी सहयोग पर जोर


भारतीय सेना की योजना स्वदेशी तकनीक और विदेशी सहयोग का संयोजन करके ड्रोन क्षमता को बढ़ाने की है। इसमें DRDO (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) का भी महत्वपूर्ण योगदान है, जो नए और शक्तिशाली ड्रोन के विकास में जुटा हुआ है। DRDO ने पहले ही Rustom और Tapas-BH-201 जैसे ड्रोन तैयार किए हैं, जो मीडियम-ऑल्टिट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस (MALE) श्रेणी में आते हैं। हालांकि, इनकी क्षमताओं को बढ़ाने के प्रयास अभी जारी हैं, ताकि ये पूरी तरह से सेना की सभी जरूरतों को पूरा कर सकें।

चीन और पाकिस्तान का ड्रोन आर्मामेंट


चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य ड्रोन निर्यातक है, के पास 2,000 से ज्यादा आधुनिक ड्रोन हैं। इनमें Cai Hong-4, CH-5, CH-7 और Wing Loong-II जैसे ड्रोन शामिल हैं। पाकिस्तान को चीन से CH-4 और Wing Loong-II जैसे ड्रोन मिल चुके हैं। इसके अलावा, तुर्की द्वारा पाकिस्तान को Bayraktar TB2 और Akinci ड्रोन भी प्रदान किए गए हैं। भारतीय सेना के पास इसराइल से खरीदे गए Heron Mark-I और Mark-II ड्रोन हैं, लेकिन इनकी संख्या और क्षमताओं में चीन और पाकिस्तान से मुकाबला करने के लिए वृद्धि की आवश्यकता है।

आधुनिक MALE और HALE ड्रोन की आवश्यकता


भारतीय सेना के पास वर्तमान में लगभग 50 इसराइल Heron Mark-I और II ड्रोन हैं, जो LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर निगरानी के लिए उपयोग किए जाते हैं। हालांकि, भारतीय सेना को कम से कम 150 नए MALE (मीडियम-ऑल्टिट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस) ड्रोन की जरूरत है। इनकी मदद से सेना अपने जमीनी सैनिकों के लिए बेहतर और त्वरित कार्रवाई कर सकेगी। इसके अलावा, अमेरिकी कंपनी द्वारा प्रदान किए जाने वाले 31 MQ-9B ‘Predator’ HALE (हाई-ऑल्टिट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस) ड्रोन भी भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किए जाएंगे। यह सौदा 32,350 करोड़ रुपये में हुआ है, और इनकी डिलीवरी 2029 से शुरू होगी।

DRDO का सहयोग और स्वदेशी विकास


DRDO का ड्रोन क्षेत्र में योगदान अब और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। Tapas-BH-201 जैसे ड्रोन पहले से भारतीय सेना के लिए उपयोगी साबित हो चुके हैं, लेकिन इनकी क्षमताओं में और सुधार की आवश्यकता है। DRDO ने अब Archer-NG जैसे हथियारबंद MALE ड्रोन के विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जो जल्द ही अपनी पहली उड़ान भरने के लिए तैयार हैं। भारतीय सेना की ड्रोन क्षमता में यह बढ़ोतरी न केवल रक्षा की रणनीतिक तैयारी को बढ़ाएगी, बल्कि भविष्य के युद्धों में भारतीय सैन्य बलों को ताकतवर और सटीक बना देगी। DRDO और विदेशी सहयोग से मिलने वाले MALE और HALE ड्रोन सेना की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगे। यह कदम भारतीय सेना को सुरक्षा, निगरानी और हमला करने में पूरी तरह सक्षम बनाएगा, जो किसी भी युद्ध की स्थिति में निर्णायक साबित हो सकता है।

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