नई दिल्ली : भारतीय रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.97 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। यह लगातार तीसरा दिन था, जब रुपया अपने पिछले रिकॉर्ड से नीचे बंद हुआ है। पिछले दिन यानि गुरुवार को भी रुपया 85.93 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था। इसके साथ ही यह लगातार दसवां हफ्ता है, जब रुपये में गिरावट देखी गई है।
रुपये की गिरावट के मुख्य कारण
रुपये में गिरावट की सबसे बड़ी वजह डॉलर की मजबूती और कमजोर कैपिटल फ्लो है। अमेरिकी डॉलर का इंडेक्स 109 से ऊपर बना हुआ है, जो पिछले दो वर्षों में सबसे ऊंचा स्तर है। इसके अलावा, अमेरिकी नॉन-फार्म पेरोल डेटा का बाजार पर असर पड़ सकता है, जो फेडरल रिजर्व की दर कटौती की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप से रुपये की गिरावट पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया गया है। शुक्रवार को RBI के निर्देशों पर कुछ सरकारी बैंकों ने डॉलर बेचा, जिससे रुपये की गिरावट को सीमित किया जा सका।
भविष्य में रुपये पर दबाव बना रह सकता है
मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट, अनुज चौधरी ने ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ से बात करते हुए कहा कि भविष्य में रुपये पर दबाव बना रह सकता है। उन्होंने बताया, “घरेलू बाजारों की कमजोर स्थिति, मजबूत डॉलर, और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FII) की लगातार निकासी रुपये को कमजोर कर सकती है। इसके अतिरिक्त, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि भी रुपये पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।”
RBI के हस्तक्षेप से रुपये को मिल रही स्थिरता
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और डॉलर की मजबूती के बीच, रुपये पर दबाव बना हुआ है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप ने रुपये की गिरावट को कुछ हद तक नियंत्रित किया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और घरेलू कारकों के बीच भारतीय रुपये की स्थिति कमजोर बनी रह सकती है।
Read Also: L&T Chairman Trolled : 90 घंटे काम की सलाह पर ट्रोल हुए L&T चेयरमैन , जानें कंपनी ने क्या सफाई दी