RANCHI NEWS: आजकल महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं बढ़ती जा रही है। आए दिन इस तरह के मामले भी सामने आते है। जिसमें महिलाओं व छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं होती रहती हैं। लेकिन वे अपने को किसी तरह बचते बचाते चुपचाप निकल जाती हैं। वहीं कई महिलाएं और युवतियां तो अनहोनी का शिकार हो जाती हैं। उनके पास बचाव के लिए कोई हथियार नहीं होता। लेकिन महिलाओं के ये जान लेना चाहिए कि सेल्फ डिफेंस के लिए केवल बंदूक होना ही जरूरी नहीं है।
वे अपने पास मौजूद हेयर क्लिप, सेफ्टी पिन व हेयर स्टिक का इस्तेमाल बतौर ‘हथियार’ कर सकती हैं। इतना ही नहीं इसके जरिए वे मनचलों से बखूबी मुकाबला कर सकती हैं। इसके लिए टेक्निक भी जानने की जरूरत है। कुछ ऐसी ही ट्रेनिंग रांची में महिलाएं ले रही है। जिससे कि वे खुद की सुरक्षा कर सके।
महिलाओं को दे रहे ट्रेनिंग
इंटरनेशनल मार्शल आर्ट अकादमी (इमा) के टेक्निकल डायरेक्टर सुनील किस्पोट्टा युवतियों को छोटे-छोटे रोजमर्रा के सामानों से बचाव की टेक्निक सिखा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सेल्फ डिफेंस के लिए एक तिनका भी काफी है। उन्होंने बताया कि आत्मरक्षा के लिए हमेशा पर्स में भारी हथियार रखने की जरूरत नहीं। हेयर क्लिप, हेयर स्टिक और बाजार में मिलने वाली ‘चाइनीज स्टिक’ जैसी सामान्य चीजें भी सही तरीके से इस्तेमाल करें तो प्रभावी हथियार बन जाती हैं। इन वस्तुओं का सही ग्रिप और निशाना सीखना अहम है। एक छोटा सा प्रहार सामने वाले को भागने पर मजबूर कर सकता है।

बचाव के लिए सेल्फ कांफिडेंस जरूरी
ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को ये भी बताया जा रहा है कि सेल्फ कांफिडेंस सबसे बड़ी चाबी है। आत्मविश्वास होने पर ही कोई महिला सामने वाले से टकराने की हिम्मत जुटा पाती है। ट्रेनिंग के दौरान सिर्फ स्ट्राइक और ब्लॉक नहीं, बल्कि सजगता, नजर बनाए रखना, आवाज लगाकर मदद मांगना और भीड़ की ओर भागने जैसी रणनीतियां भी सिखाई जा रही हैं। यहीं वजह है कि कराटे की ट्रेनिंग लेने वाली लड़कियां मुश्किल परिस्थितियों के लिए खुद को तैयार कर रही है।
महिला कराटे खिलाड़ी सीखा रही तरीका
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सेंसाइ मोहिनी रितिका टोप्पो पिछले 20 सालों से इमा में कराटे की ट्रेनिंग ले रही हैं। अब इन्हीं अनुभवों के बल पर वे न सिर्फ देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं बल्कि हजारों महिलाओं को कराटे सिखाकर उन्हें आत्मरक्षा के प्रति जागरूक भी कर रही हैं। रितिका का कहना हैं कि मार्शल आर्ट केवल शारीरिक कला नहीं बल्कि आत्मविश्वास, सजगता और खतरे का सामना करने का मैनुअल भी है।
पाठ्यक्रम में शामिल करे सरकार
महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर कानून में धाराएं बढ़ायी जा रही है। लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना जो की कराटे के प्रशिक्षण से बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई योजना के तहत सरकारी स्कूलों में लड़कियों को तीन महीने का कराटे प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण को पूरे साल के लिए किया जाना चाहिए। इसके अलावा सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में इसे अनिवार्य पाठ्यक्रम के तौर पर डालना चाहिए।