हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली : बरसात के दिनों में पीलिया के मरीज बढ़ जाते हैं। चूंकि, यह बीमारी दूषित खान-पान की वजह से होती है, इस कारण बरसात के दिनों में इसके अधिक मरीज सामने आते हैं। ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या पूरे देश में इसे पीलिया पीलिया के नाम से ही जानते हैं या फिर इसका दूसरा भी कोई नाम है। झारखंड के जाने-माने फिजिशियन डा. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि पीलिया होता क्या है?
वह कहते हैं कि पीलिया हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के जरिए लिवर में इंफेक्शन होने से होता है। इस दौरान जब मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और उसका लिवर तेजी से खराब होने लगती है तो उस अवस्था में नॉर्थ राजस्थान व हरियाणा में लोग इसे ही काला पीलिया के नाम से जानते हैं।
पीलिया और काला पीलिया में क्या फर्क है?
डॉ. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि यह समझने का फर्क है। लोग समझने के लिए अलग-अलग शब्द का उपयोग करते हैं। वहीं, कुछ लोग यह भी समझते हैं कि पीलिया और काला पीलिया अलग होता है। ऐसे नहीं है। जब मरीज की स्थिति गंभीर होने लगती है और उसका लिवर तेजी से खराब होता है तो उस अवस्था को लोग काला पीलिया कहते हैं। इसके अलावा कोई दूसरा अंतर नहीं है। काला पीलिया गंभीर अवस्था को कहने हैं, जिसके कारण मरीजों की मौत होने की आशंका बढ़ जाती है। कभी कभार मरीज को लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर तक हो जाती है।
काला पीलिया की अनदेखी जानलेवा
इस अवस्था में मरीज को बेहतर चिकित्सा की जरूरत होती है। इसके साथ ही उसके खान-पान व लाइफ स्टाइल में भी काफी बदलाव की जरूरत होती है। चूंकि, इस दौरान मरीज गंभीर अवस्था में होता है। इस दौरान अधिकांश मरीज अस्पताल में ही भर्ती होते हैं। वहीं, कुछ घरों में भी रहकर इलाज कराते हैं। ऐसे में जो मरीज घर में रहकर इलाज कराते हैं उन्हें चिकित्सक के संपर्क में रहने के साथ-साथ दवा व खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इस दौरान थोड़ासी भी लापरवाही महंगी पड़ सकती है। मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।
काला पीलिया का लक्षण क्या है
– काला पीलिया का कोई अलग लक्षण नहीं होता। वह सामान्य पीलिया की तरह ही होता है।
– व्यक्ति की त्वचा व आंखों का सफेद भाग पीला हो जाना।
– व्यक्ति को सिर दर्द, लो-ग्रेड बुखार, मतली और उल्टी।
– भूख कम लगना, त्वचा में खुजली और थकान लगना।
– मल पीला और मूत्र गाड़ा हो जाना।
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काल पीलिया का क्या है उपचार
– काला पीलिया की एलोपैथ के साथ-साथ कुछ घरेलू चिकित्सा भी मौजूद है, जो काफी कारगर साबित होती है।
– आयुर्वेद विशेषज्ञ घरेलू चिकित्सा पर ज्यादा ध्यान देते हैं। जिसका उपयोग आप किसी चिकित्सक से संपर्क करने के बाद ही कर सकते हैं।
– मूली का रस व पत्ते काला पीलिया में काफी लाभदायक माना जाता है। 24 घंटे में दो से तीन गिलास मूली का रस या फिर इसके पत्ता का रस पीना चाहिए।
– टमाटर के रस में विटामिन-सी और यह लाइकोपीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट में पूर्ण होता है। ऐसे में यह भी काला पीलिया में काफी लाभदायक होता है।
– आंवला तो वैसे कई बीमारियों के लिए रामबाण माना जाता है। ऐसे में यह काला पीलिया में भी लाभदायक है। इसमें विटामिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
– नींबू या पाइनएप्पल का जूस भी आप पी सकते हैं। रोज खाली पेट नींबू का रस पीने से काला पीलिया से राहत मिलती है। वहीं, पाइनएप्पल पेट के अंदर वाले सिस्टम को दुरुस्त करता है।
– नीम की पत्तियों में शहद मिलाकर पीएं, इससे भी काफी लाभ मिलता है।