लखनऊ/ क्या प्रियंका गांधी लड़ने वाली हैं मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दोबार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक अजय राय को कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश कांगेस का नया अध्यक्ष बनाया है। अजय राय भूमिहार जाति से आते हैं। वे पार्टी के उन नेताओं में गिने जाते हैं जो संघर्ष कर इस मुकाम पर पहुंचे हैं। वे वाराणसी के रहने वाले हैं, ऐसे कांग्रेस उनके जरिए पूरे पूर्वांचल को साधना चाह रही है।
क्योंकि इस क्षेत्र में भूमिहार जाति का अच्छा-खासा प्रभाव है। यह जाति पिछले कुछ समय से लगातार भाजपा को वोट करती आ रही है। अब अजय राय के जरिए कांग्रेस भूमिहारों के साथ पूरे सवर्ण समाज को साधने की कोशिश कर रही है, ताकि अपने पुराने वोट वैंक को पुन: पार्टी के पाले में लाया जा सके ।
जानिए पूर्वांचल में जातीय समीकरण:
अगर वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल की बात करें तो यहां भूमिहारों की अच्छी खासी संख्या है। इसके अलावा सवर्णों में सबसे अधिक ब्राह्मण हैं। साथ ही क्षत्रियों की भी अच्छी खासी आबादी है। यूं कहें तो इस क्षेत्र के अधिकतर सीटों पर सवर्ण मतदाता निर्णायक की भूमिका में होते हैं। जो अभी तक भाजपा के पाले में हैं। यही वजह है कि पूर्वांचल की अधिकतर सीटों को पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा जीतती चली आ रही है। कांग्रेस अब इस वोट वैंक में सेंधमारी करना चाह रही है। यही वजह है कि उसने अजय राज को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
क्या प्रियंका गांधी लड़ने वाली हैं मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव ?
विदित हो कि हाल ही में विपक्षी गठबंधन इंडिया के एक घटक दल शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि अगर प्रियंका गांधी नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ेंगी तो वह मोदी को हरा देंगी। इसके बाद प्रियंका गांधी के पति रावर्ट बाड्रा ने भी कहा था कि प्रियंका गांधी लोकसभा में जानें की योग्यता रखती हैं। उन्हें वहां होना चाहिए। ऐसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि प्रियंका गांधी आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी।
हालांकि वह पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी या नहीं, इस पर कांग्रेसी नेता कुछ नहीं बोल रहे हैं। हालांकि अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने को भी इसी रणनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है। अजय राय को प्रियंका गांधी का करीबी नेता माना जाता है। दूसरे वह वाराणसी से ही हैं। ऐसे में चर्चा चल रही है क्या अजय राय अपनी सीट से प्रियंका गांधी को मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आग्रह करेंगे। आने वाले दिनों में देखना होगा कि प्रियंका गांधी का मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का कयास कितना सही साबित होता हैं।
लंबे समय से भाजपा पर ब्राह्मणों की उपेक्षा का लगता रहा आरोप, हर बार साबित हुआ हवाई:
अगर उत्तर प्रदेश के परिपेक्ष में बात करें तो योगी आदित्यनाथ के पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही यह बात पूरे जोर-शोर से उठी थी कि भाजपा की सरकार में लगातार ब्राह्मणों की उपेक्षा हो रही है। यह भी थ्योरी पेश की गई कि केवल यूपी ही नहीं पूरे देश और संगठन स्तर पर ब्राह्मणों को किनारे किया जा रहा है। लेकिन चुनाव में यह थ्योरी हवाई साबित हुई। ब्राह्मण पूरी मजबूती के साथ भाजपा के साथ बने रहे।
लोकसभा चुनाव से लेकर यूपी विधानसभा चुनाव तकनीक का असर दिखा। हालांकि नाराजगी की खबरें अभी भी यथावत हैं। ब्राम्हण कांग्रेस के परंपरागत वोटर रहे हैं। कहा जाता है कि जब से यूपी में ब्राह्मणों ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा पार्टी रसातल को चली गई। ब्राह्मण और भूमिहार समाज एक दूसरे के काफी करीब हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस ने बहुत सोच-समझकर अजय राय को यूपी में अपना अध्यक्ष बनाया है। उनके जरिए कांग्रेस एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण और भूमिहार समाज को साधने की कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ इसका फायदा पड़ोसी राज्य बिहार में भी मिल सकता है।
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ब्राह्मण, मुसलमान व दलित कांग्रेस के पुराने वोट बैंक को फिर जोड़ने का प्रयास:
राजनीतिक विश्लेषक डॉ हरिओम पांडे बताते हैं कि ब्राह्मण, मुसलमान व दलित कांग्रेस के पुराने वोट बैंक रहे हैं। जो इस समय पूरी तरह से पार्टी से कट गए हैं। ब्राह्मण जहां भाजपा की तरफ चले गए हैं वहीं मुसलमान सपा का दामन थाम चुके हैं जबकि दलित मायावती के पक्ष में हैं। लेकिन हाल के दिनों में इस ट्रेंड में कुछ बदलाव आया है।
उत्तर प्रदेश में मुसलमान इस समय कांग्रेस के पक्ष में मुड़ते हुए बताए जाते हैं। ऐसे में यदि अजय राय ब्राह्मणों के एक बड़े वोट बैंक को कांग्रेस के साथ लाने में सफल होते हैं तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। इससे भाजपा की चुनौती बढ़ सकती है,जो विभिन्न वर्गों के वोटों के सहारे यूपी की सभी 80 सीटों को जीतने का सपना देख रही है।