जमशेदपुर : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि जिस समय एमजीएम अस्पताल के अधूरे भवन का उद्घाटन हो रहा था, उस समय उन्होंने सवाल उठाया था कि अस्पताल के नए भवन में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, इसके बावजूद इसका उद्घाटन हो रहा है और पुराने अस्पताल को इसमें शिफ़्ट करने की कवायद की जा रही है।

देश में यह पहला अस्पताल होगा जो पानी की व्यवस्था नहीं होने के बावजूद उद्घाटित हो रहा है। सरयू राय ने यह भी पूछा था कि पानी के अभाव में अस्पताल का संचालन कैसे संभव हो सकता है। तब जाकर उद्घाटन के बाद अफ़रातफ़री में पांच डीप बोरिंग अस्पताल परिसर में कराए गए जो नियमानुसार नहीं हैं। अभी तक इन्हीं पांच डीप बोरिंग से अस्पताल में जलापूर्ति हो रही है, जो अपर्याप्त है।
एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर में मरीज़ों एवं उनके परिजनों के लिए पेयजल एवं अन्य जनसुविधाओं की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा इसके सुचारू परिचालन के लिए एक सक्षम अनुश्रवण समिति गठित करने का आग्रह किया है।
मंत्री को लिखे पत्र में सरयू राय ने कहा है कि एमजीएम अस्पताल के सुचारू संचालन के लिए सरकार द्वारा एक सक्षम समन्वय एवं अनुश्रवण समिति गठित करना आवश्यक प्रतीत हो रहा है, जिसमें स्थानीय सांसद और विधायक भी शामिल किए जाएं।
सरयू राय ने लिखा कि 2024 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से जिस प्रकार आनन-फ़ानन में अस्पताल का उद्घाटन मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा करा दिया गया, उसका ख़ामियाज़ा अभी तक अस्पताल प्रबंधन, मरीज़ों तथा मरीज़ों के परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। साल भर बीत जाने के बावजूद पुराने अस्पताल का सफल स्थानांतरण नए भवन में नहीं हो पाया है। विधायक ने पत्र में आशंका जताई है कि अगर सक्षम अनुश्रवण समिति नहीं बनी तो आशंका है कि पुराने अस्पताल के साथ-साथ वहां की पुरानी समस्याएं भी नए भवन में स्थानांतरित हो जाएंगी।
पत्र में सरयू राय ने लिखा है कि विगत पंद्रह दिनों से मरीज़ों के परिजन प्रायः हर रोज उन्हें फोन करके पीने का पानी नियमित रूप से उपलब्ध नहीं होने की शिकायत कर रहे हैं। वह उनकी शिकायत अस्पताल के अधीक्षक और उपाधीक्षक को भेज देते हैं, मगर स्थिति में अपेक्षित सुधार आज तक नहीं हुआ है। जब उन्होंने वस्तुस्थिति की जानकारी ली, तो पता चला कि अस्पताल भवन का निर्माण करने वाले ठेकेदार एलएंडटी ने अस्पताल भवन में बोरिंग का पानी साफ करके पीने योग्य बनाने के लिए जितने भी आरओ एवं नल लगाए, वे सभी घटिया स्तर के हैं और अस्पताल में रोज़ाना आने वाले मरीज़ों और उनके परिजनों के उपयोग के दृष्टिकोण से काफ़ी कमज़ोर हैं। ये नल टिकाउ नहीं होने के कारण खराब हो रहे हैं और पेयजलापूर्ति ठप हो रही है।
ठेकेदार द्वारा लगाए गये आरओ बोरिंग से आने वाले भूगर्भ जल की शुद्धता अस्पताल के मानक के अनुरूप नहीं है। पानी में घुले ठोस पदार्थों की मात्रा काफी अधिक पायी जा रही है। यानी आरओ के माध्यम से शुद्ध किए गए जल की गुणवता बोरिंग से आने वाले भूगर्भ जल की गुणवत्ता जैसी ही है, जो ख़तरनाक है।
जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखाः अस्पताल उद्घाटन के बाद जब उन्होंने और अस्पताल के समीपवर्ती मुहल्लों के लोगों ने भूगर्भ जलस्तर का नीचे जाने की आशंका जतायी और बड़ी संख्या में डीप बोरिंग कराने का विरोध किया तो आश्वासन दिया गया कि एक साल के भीतर सतह जल की आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था कर ली जायेगी। अब अस्पताल उद्घाटन का एक वर्ष पूरा होने को है, पर पेयजल आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था हाल-फ़िलहाल पूरा होने की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।
अस्पताल के परिचालन में अनेक ख़ामियां हैं, पर फ़िलहाल वह अस्पताल में मरीज़ों एवं उनके परिजनों के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली अतिआवश्यक जन-सुविधाओं तक ही सीमित रख रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अस्पताल की अनुश्रवण समिति दवाओं की उपलब्धता, मशीनों की स्थिति, पारामेडिकल स्टाफ की स्थिति, पैथोलॉजिकल एवं अन्य जांच की स्थिति के बारे में संज्ञान लेगी और इन्हें दुरुस्त कराने का उपाय करेगी। इसके साथ ही एमजीएम अस्पताल के वैधानिक स्तर का ख्याल रखते हुए इसके विधिसम्मत परिचालन की व्यवस्था करेगी।