Ranchi: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 1 अगस्त 2025 से प्रारंभ हो रहा है, जो 7 अगस्त तक चलने वाला है। हालांकि यह सत्र कुल सात दिनों का होगा, लेकिन केवल 5 दिन ही कार्य दिवस निर्धारित किए गए हैं। परंपरा के अनुरूप इस बार भी मानसून सत्र की अवधि काफी संक्षिप्त रखी गई है।
पहले दिन की कार्यवाही को छोड़ दिया जाए, तो केवल चार दिन ही सदन में महत्वपूर्ण कार्य हो पाएंगे, जिससे 81 सदस्यीय विधानसभा के विधायकों को अपने क्षेत्र की समस्याएं और मुद्दे उठाने का पूरा अवसर नहीं मिल पाएगा।
विधानसभा सचिवालय की ओर से कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इस संक्षिप्त सत्र को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं।
मानसून सत्र: आंकड़ों में देखें अब तक की अवधि
झारखंड विधानसभा में पहले भी मानसून सत्र की अवधि कम ही रही है। नीचे दिए गए आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं:
वर्ष | अवधि | कार्य दिवस |
17-08-2001 से 24-08-2001 | 6 दिन | |
20-08-2002 से 26-08-2002 | 5 दिन | |
05-09-2003 से 10-10-2003 | 8 दिन | |
02-08-2004 से 19-08-2004 | 5 दिन | |
17-08-2007 से 22-08-2007 | 4 दिन | |
19-09-2008 से 25-09-2008 | 5 दिन | |
26-08-2011 से 03-09-2011 | 5 दिन | |
13-08-2012 से 06-09-2012 | 5 दिन | |
18-07-2013 से 27-07-2013 | 4 दिन | |
01-08-2014 से 06-08-2014 | 5 दिन | |
18-09-2020 से 22-09-2020 | 3 दिन | |
03-09-2021 से 09-09-2021 | 5 दिन | |
22-07-2022 से 04-08-2022 | 5 दिन | |
05-09-2022 से 11-11-2022 | 7 दिन | |
28-07-2023 से 04-08-2023 | 6 दिन | |
26-07-2024 से 02-08-2024 | 5 दिन |
विपक्ष का आरोप: सरकार कर रही है बहस से बचने की कोशिश
विपक्ष में बैठे भारतीय जनता पार्टी का झारखंड सरकार पर आरोप है कि सरकार जानबूझकर सत्र को छोटा रख रही है। पार्टी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कहा,
“सात दिनों का सत्र कहने को है, लेकिन इसमें केवल चार दिन ही सदन की कार्यवाही होगी। हम इस सीमित समय में भी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे।”
सत्ता पक्ष का पलटवार: भाजपा को नैतिकता नहीं है
विपक्ष के आरोपों पर मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने जवाब देते हुए कहा,
“भाजपा को पहले अपने शासित राज्यों की स्थिति देखनी चाहिए। मैं उत्तराखंड की प्रभारी रही हूं, वहां 2-3 दिनों में ही सत्र निपटा दिया जाता है। भाजपा को नैतिकता नहीं है कि वो विधानसभा सत्र की अवधि पर सवाल उठाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र हमेशा एक सप्ताह का ही रहता है, और उसी परंपरा के तहत इस बार भी सत्र को संक्षिप्त रखा गया है।
मानसून सत्र से पहले तेज हुआ सियासी पारा
सत्र शुरू होने से पहले ही सत्ता पक्ष और विपक्ष रणनीति बनाने में जुटे हैं। जहां विपक्ष सत्र की अवधि को मुद्दा बना रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इसे परंपरा बता रहा है।
विधानसभा सचिवालय ने सत्र के सुचारू संचालन के लिए तैयारी तेज कर दी है। वहीं सत्र के दौरान कई अहम मुद्दों पर गहमागहमी और हंगामे की संभावना जताई जा रही है।
भले ही मानसून सत्र की अवधि छोटी रखी गई हो, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक पारा चरम पर है। ऐसे में देखना होगा कि इस संक्षिप्त सत्र में विपक्ष कितनी प्रभावी भूमिका निभा पाता है और सरकार कितनी पारदर्शिता से मुद्दों को रखती है।
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