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Jharkhand Bureaucracy Exclusive News :  डीसी रहते चाईबासा की सड़कों पर लगाया झाड़ू, नाले में उतरकर कराई सफाई, जानें कौन हैं झारखंड के पावरफुल IAS अरवा राजकमल

Jharkhand Bureaucracy Exclusive News : विशेषज्ञों की राय : सरल स्वभाव और जन सरोकार से सरकार के भरोसेमंद बने अरवा

by Dr. Brajesh Mishra
Jharkhand Cadre IAS Arava Rajkamal Gets New Responsibility
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  • आईएएस की नौकरी, प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई, फिर भी व्यक्तित्व में कायम रही सहजता

Jharkhand Cadre IAS Arava Rajkamal :  रांची : झारखंड सरकार की ओर से जारी नई अधिसूचना के अनुसार, 2008 बैच के आईएएस अधिकारी अरवा राजकमल को सात अलग-अलग पदों का दायित्व दिया गया है। प्रशासनिक महकमे में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर अरवा राजकमल पर सरकार इतनी मेहरबान क्यों है? झारखंड की नौकरशाही को नजदीक से जानने वाले पूर्व सूचना आयुक्त एवं वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र की मानें तो अरवा राजकमल जन सरोकार से ताल्लुक रखने वाले सहज और सरल स्वभाव के अधिकारी हैं। वह काम करने में विश्वास रखते हैं। यही कारण है कि राज्य में बनने वाली पिछली चार सरकारों के समय वह हमेशा सरकार के भरोसेमंद बने रहे।

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पिछली भाजपा सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पहले इन्हें देवघर का डीसी बनाया। उसके बाद पश्चिमी सिंहभूम का उपायुक्त बनाया गया। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद बनी हेमंत सोरेन सरकार ने इन्हें सरायकेला-खरसावां का उपायुक्त बनाया। पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के कार्यकाल में वह मुख्यमंत्री के प्रभारी सचिव रहे। इसके अलावा इन्हें कुछ समय के लिए गृह सचिव का अहम दायित्व भी दिया गया। हेमंत सोरेन के दोबारा सत्ता में लौटने के बाद इन्हें एक बार फिर से सचिव के रूप कई अहम विभागों की जिम्मेदारी दी गई। राजकमल ने इन सभी दायित्वों का पूरी निष्ठा से निर्वहन किया। अरवा राजकमल के विभाग से जुड़े कार्यों से सरकार को कभी कोई शिकायत नहीं रही। इसी कारण उनपर भरोसा बढ़ता गया।

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IAS Arava Rajkamal Biodata चाईबासा और सरायकेला की जनता से है सीधा रिश्ता

झारखंड के कोल्हान प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले दो जिलों में अरवा राजकमल ने बतौर उपायुक्त लंबे समय तक काम किया। इस कारण इन दोनों जिलों की जनता से इनका सीधा रिश्ता रहा। अरवा राजकमल मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। इन्होंने बीटेक की पढ़ाई की। 2008 बैच में आईएएस बनने के बाद इन्हें वर्ष 2013 में बोकारो का उपायुक्त बनाया गया। उसके बाद इन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है। प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में पढ़े होने के बावजूद बतौर उपायुक्त इन्हें चाईबासा की सड़कों पर झाडू लगाने और नाले में उतरकर सफाई कराने जैसे कार्यों से कभी कोई परहेज नहीं रहा। पश्चिमी सिंहभूम के सुदूर इलाकों तक विकास की किरण पहुंचाने में इनकी अहम भूमिका रही। ग्रामीण इलाकों के बच्चों तक किताबें पहुंचाने के लिए इन्होंने चलंत पुस्तकालय की भी शुरुआत कराई थी। इनके कार्यकाल में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुए।

Jharkhand Bureaucracy Exclusive News :  कोरोना काल में घर-घर घूमकर बंटावाया राशन

कोरोना काल के दौरान बतौर उपायुक्त इन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में घूम-घूम कर लोगों के घर राशन बंटवाया। यही कारण रहा है कि चाहे सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष, कोल्हान प्रमंडल के तमाम निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से इनके बेहतर रिश्ते रहे हैं। लोगों की मदद करने के लिए कोरोना काल में वह अपने घर तक से दूर रहे। आपात परिस्थिति में एक-एक हफ्ते बाद अपने माता-पिता से मिल पाते थे।

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