रांची : झारखंड और केंद्र सरकार के बीच कोयला कंपनियों की रॉयल्टी को लेकर विवाद अब और गहरा गया है। राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने इस मुद्दे को केंद्रीय जीएसटी काउंसिल की बैठक में उठाने का फैसला लिया है। इस बैठक का आयोजन राजस्थान के जैसलमेर में 21 और 22 दिसंबर को होने जा रहा है, जिसमें देशभर के वित्त मंत्री शामिल होंगे। झारखंड सरकार ने इस मुद्दे को केंद्रीय मंच पर मजबूती से रखने का मन बना लिया है और वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर इसके लिए राजस्थान रवाना हो गए हैं।
कोयला कंपनियों का रॉयल्टी बकाया
झारखंड सरकार के मुताबिक, कोयला कंपनियां केवल कोल ढुलाई की रॉयल्टी ही देती हैं, जबकि उन्हें प्रोस्सेस्ड कोयले की भी रॉयल्टी देनी चाहिए, जो कि वे नहीं दे रही हैं। झारखंड सरकार का कहना है कि कोल वाशिंग की रॉयल्टी के तहत 2900 करोड़ रुपये, कॉमन कॉज के नाम पर 32 हजार करोड़ रुपये, और भूमि मुआवजा के तहत 1,01,142 करोड़ रुपये बाकी हैं। यह कुल मिलाकर 1,32,000 करोड़ रुपये के करीब बनता है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का केंद्र सरकार पर हमला
हेमंत सोरेन इस मुद्दे को लेकर लगातार केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमलावर बने हुए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार को घेरते हुए झारखंड का हक दिलाने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने झारखंड बीजेपी के नेताओं से भी अपील की है कि वे राज्य के हितों के साथ खड़े हों और इस मुद्दे पर केंद्र से जवाब मांगें।
सांसद पप्पू यादव ने संसद में किया था सवाल
कुछ दिन पहले सांसद पप्पू यादव ने संसद में सवाल उठाया था कि झारखंड का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार क्यों नहीं दे रही है। इसके जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि झारखंड के कोयले का कोई बकाया केंद्र सरकार पर नहीं है। इस जवाब के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और बीजेपी के बीच सोशल मीडिया पर घमासान छिड़ गया।