रांची : झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं का साल 2024 विवादों और आंदोलन से भरा रहा। लंबे समय से लंबित परीक्षाओं को सरकार ने भले ही पूरा करने का प्रयास किया, लेकिन नए वेकेंसी की कमी और परीक्षाओं में गड़बड़ी ने पूरे साल छात्रों को सड़कों पर बनाए रखा।
नीट पेपर लीक हो या जेपीएससी की मुख्य परीक्षाओं का विवाद, झारखंड का नाम राष्ट्रीय स्तर पर कई बार चर्चा में रहा। छात्रों का आक्रोश और आयोगों की लापरवाही ने राज्य की छवि को धूमिल किया। आइए जानते हैं, इस साल की पांच बड़ी प्रतियोगी परीक्षाएं जो सुर्खियों में रहीं।
NEET पेपर लीक मामला: झारखंड की राष्ट्रीय बदनामी
मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए आयोजित NEET परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक मामला इस साल का सबसे बड़ा विवाद बना।
झारखंड के हजारीबाग, रांची और अन्य स्थानों पर CBI की छापेमारी में पेपर सॉल्व करने वाले डॉक्टरों और छात्रों की मिलीभगत का खुलासा हुआ।
मास्टरमाइंड संजीव मुखिया की तलाश में जांच एजेंसियां जुटीं।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद परीक्षाओं में बदलाव किए गए।
यह मामला झारखंड की शिक्षा प्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
JSSC CGL परीक्षा विवाद: सवालों के घेरे में आयोग
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा आयोजित CGL परीक्षा सालभर विवादों में घिरी रही।
जनवरी में आयोजित परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक होने की शिकायत के बाद आयोग के दफ्तर पर तोड़फोड़ हुई।
परीक्षा दोबारा सितंबर में आयोजित की गई, लेकिन गड़बड़ियों की शिकायतें फिर सामने आईं।
छात्रों के आंदोलन और एसआईटी जांच के बावजूद परिणाम अब तक घोषित नहीं हो सका।
PGT शिक्षक परीक्षा: केंद्रों की गड़बड़ी ने बढ़ाया आक्रोश
PGT शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आयोजित परीक्षा भी गड़बड़ी का शिकार रही।
परीक्षा के लिए निजी एजेंसियों को जिम्मेदारी दी गई, लेकिन कुछ केंद्रों पर असामान्य रूप से अधिक पास प्रतिशत ने विवाद खड़ा कर दिया।
रांची से लेकर राजभवन तक छात्रों ने आंदोलन किया, लेकिन सरकार ने प्रक्रिया जारी रखी।
हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016: अब भी जारी विवाद
2016 में आयोजित हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा इस साल भी चर्चा में रही।
झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर आयोग को मेरिट लिस्ट जारी करनी पड़ी।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चयन प्रक्रिया चलती रही।
JPSC 11वीं से 13वीं मुख्य परीक्षा: अनिश्चितता में परिणाम
जेपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का परिणाम सालभर लटका रहा।
जून में आयोजित परीक्षा का परिणाम अगस्त में घोषित होना था।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की स्वतंत्रता दिवस पर रिजल्ट की घोषणा के बावजूद अब तक परिणाम नहीं आया।
आयोग की अध्यक्ष नीलिमा केरकेट्टा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रक्रिया और धीमी हो गई।
एक विवादित अध्याय
झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं का यह साल छात्रों के लिए निराशाजनक और आंदोलनों से भरा रहा। परीक्षा प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता की मांग जोर पकड़ रही है।