Ranchi (Jharkhand) : झारखंड उच्च न्यायालय में राज्य के विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक रिक्तियों को भरने की मांग से जुड़ी जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। अदालत ने स्पष्ट किया कि नियुक्ति प्रक्रिया में देरी और अधियाचनाओं की प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।
JPSC ने बताया अधियाचनाओं में गड़बड़ी
सुनवाई के दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) ने कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालयों की ओर से भेजी गई अधियाचनाएं निर्धारित फॉर्मेट में नहीं हैं। नियम के अनुसार, अधियाचनाएं कार्मिक विभाग से आयोग को भेजी जानी चाहिए थीं, लेकिन विश्वविद्यालयों ने इन्हें सीधे आयोग को भेज दिया। इसी वजह से सभी अधियाचनाएं फिलहाल वापस कर दी गई हैं।
अदालत की सख्ती और अगली तारीख
कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि अधियाचनाएं उचित प्रक्रिया के तहत कार्मिक विभाग से भेजी जाएं ताकि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
संविदा नियुक्ति पर उठे सवाल
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई में उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था। उस दौरान अदालत को जानकारी दी गई थी कि सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों की संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) पर नियुक्तियां की जा रही हैं। कोर्ट ने इस प्रक्रिया की वैधता पर भी सवाल उठाए हैं।
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