Jamshedpur : झारखंड उच्च न्यायालय में रिट संख्या 2078/2018, राकेश झा बनाम झारखंड सरकार मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश राजेश शंकर की खंडपीठ ने जमशेदपुर जेएनएसी की ओर से बार-बार अधूरी जानकारी दिए जाने पर तीखी नाराज़गी जताई। कोर्ट ने कहा कि साफ निर्देशों के बावजूद जेएनएसी अवैध निर्माण, पार्किंग कब्जा, बिजली और पानी के कनेक्शन और कम्पलीशन सर्टिफिकेट से जुड़ी जरूरी जानकारी पेश नहीं कर रही है।
अदालत ने 17 सितंबर 2025 को जेएनएसी को निर्देश दिया था कि वह टेबुलर फार्म में यह बताए कि किन लोगों ने पार्किंग पर कब्जा किया, किन बिल्डरों ने अवैध निर्माण किए, किन बिल्डिंगों को कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी हुए और किन्हें नहीं जारी किए। अदालत ने यह भी जानना चाहा था कि जिन बिल्डिंगों को कम्पलीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है, उन्हें बिजली और पानी का कनेक्शन क्यों दिया गया और क्या उन कनेक्शनों का भुगतान कमर्शियल रोट पर हो रहा है या सामान्य दर पर। इसके बावजूद 10 नवंबर 2025 को जेएनएसी द्वारा दायर हलफनामे में इन सभी बिंदुओं पर कोई जानकारी नहीं दी गई। इस पर अदालत ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की चेतावनी दी।
बुधवार को हुई सुनवाई में भी जेएनएसी द्वारा पेश हलफनामा खाली पाया गया तो अदालत ने मौजूद विशेष अधिकारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की बात कही। इस पर उन्होंने अदालत को बताया कि वे नए हैं और जेएनएसी का मुख्य प्रभार डिप्टी कमिश्नर कृष्ण कुमार के पास है। अदालत ने इसके बाद डिप्टी कमिश्नर कृष्ण कुमार को 20 नवंबर 2025 को सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि जेएनएसी 2011 से लगातार एक ही सूची पेश कर रहा है जिसमें 46 अवैध निर्माण वाले भवनों का उल्लेख है। यह सूची 2011 से 2025 तक दायर पांच हलफनामों में लगाई गई, जबकि इन भवनों से वर्षों पहले सील हटा ली गई और बाद में और अवैध निर्माण भी कर लिए गए। उन्होंने कहा कि जेएनएसी ने कभी अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई नहीं की और न ही प्रभावी निगरानी की। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि जेएनएसी ने 1900 बिल्डिंगों में से केवल 24 को कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी किया है जबकि पिछले छह साल में डिप्टी कमिश्नर कृष्ण कुमार ने लगभग 650 बिल्डिंग प्लान जारी किए हैं। इन सभी भवनों को बिना कम्पलीशन सर्टिफिकेट दिए बिजली और पानी का कनेक्शन भी उपलब्ध करा दिया गया है।
अधिवक्ता ने यह भी कहा कि जेएनएसी द्वारा बताए गए 54 कम्पलीशन सर्टिफिकेट में से 20 एक ही कॉलोनी के हैं और दस मामले भ्रष्टाचार से जुड़े हैं, इसलिए वास्तविक संख्या केवल 24 ही रह जाती है। उन्होंने बताया कि एक भी बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर और बेसमेंट की पार्किंग बहाल नहीं की गई है, जबकि जेएनएसी की ओर से केवल पार्किंग खाली करने की बात की जा रही है, अवैध निर्माण और अनियमित कनेक्शन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

