Ranchi (Jharkhand) : झारखंड उच्च न्यायालय ने ‘पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार अधिनियम, 1996’ (PESA) की नियमावली लागू करने में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाया है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान, अदालत ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक हर हाल में पेसा नियमावली अदालत के सामने पेश करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 9 अक्टूबर को होगी।
खंडपीठ ने जताई नाराजगी
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस दौरान नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “हम केवल आदेश देते रहेंगे और सरकार सुनती रहेगी, ऐसा नहीं चलेगा।” अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगली सुनवाई से पहले नियमावली तैयार कर पेश की जाए।
माइनर मिनिरल्स के आवंटन पर रोक
सुनवाई के दौरान अदालत ने बालू घाटों की नीलामी के बाद आवंटन पर लगी रोक को हटाने के लिए दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया, लेकिन पेसा नियमावली तैयार न होने तक राज्य में माइनर मिनरल (अल्प खनिज) के आवंटन पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया।
पेसा नियमावली लागू होने पर उचित आदेश देगी अदालत
अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि अगर पेसा नियमावली लागू हो जाती है, तो अदालत उचित आदेश पारित करेगी। ‘आदिवासी बुद्धिजीवी मंच’ की ओर से दायर इस अवमानना याचिका में प्रार्थियों का पक्ष वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने रखा, जबकि राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने बहस की। सुनवाई के दौरान पंचायती राज विभाग के सचिव मनोज कुमार भी अदालत में मौजूद थे। उन्होंने अदालत को बताया कि नियमावली का मसौदा तैयार कर कैबिनेट को भेजा गया है।